भिक्षु चरमोत्सव पर कार्यक्रम आयोजित
भिक्षु चरमोत्सव कार्यक्रम के अवसर पर उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य भिक्षु ज्ञानवान, धृतिमान, गतिमान पुरुष थे। उन्होंने ज्ञान और धैर्य के साथ हर समस्या का समाधान किया। कहावत है- धीरज का फल मीठा होता है। हम देखते हैं जैसे-जैसे समय व्यतीत हो रहा है, वैसे-वैसे उसे संत और पंथ की गरिमा द्रोपदी के चीर की तरह बढ़ती जा रही है। जो तेरापंथ भिक्षु स्वामी के समय राजस्थान तक सीमित था, वह आज देश-विदेश में भी अपनी पहचान व स्थान बना पाया है। आवश्यकता है कि हम स्वामीजी के सिद्धांतों को समझें, औरों को समझाने का प्रयास करें, जिससे आत्म कल्याण के साथ-साथ जनकल्याण भी हो सके।
मुनि अमन कुमार जी, मुनि नमि कुमार जी, मुनि मुकेश कुमार जी ने भी अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। तेरापंथ सभा के मंत्री भगवतीलाल जैन, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा सीमा कोठारी, तेरापंथ युवक परिषद् के मंत्री संजय खाब्या ने श्रद्धासिक्त गीतों का संगान किया। कार्यक्रम में मुनि नमिकुमार जी ने 18 दिन की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। भिक्षु चरमोत्सव के अवसर पर तेरापंथ भवन में ओम भिक्षु का अखंड जाप भी आयोजित किया गया।