संयम से आत्मा को भावित करने का पर्व है पर्युषण
पर्युषण महापर्व का प्रथम दिवस खाद्य संयम दिवस के रूप में तेरापंथ समाज वाशी द्वारा अणुव्रत सभागार वाशी नवी मुंबई में आयोजित किया गया | कार्यक्रम का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र से किया गया। मंगलाचरण तेरापंथ महिला मंडल वाशी तथा स्वागत वक्तव्य श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा अध्यक्ष पंकज चंडालिया द्वारा दिया गया। तेयुप अध्यक्ष अरविंद खटेड़, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष रेखा कोठारी ने अपने विचार व्यक्त किए। प्रवक्ता उपासक दिनेश कोठारी ने प्रेक्षा ध्यान के प्रयोग के पश्चात खाद्य संयम दिवस के बारे में वर्णन किया। आपने कहा- जिस प्रकार सूखी घास में छोटी सी चिंगारी लगाने पर घास जल जाती है, उसी प्रकार तप के आतप से कर्म भस्म हो जाते हैं, निर्जरित हो जाते हैं। इसलिए अपनी शक्ति के अनुसार अधिक से अधिक तपस्या करनी चाहिए। उपासक जयंतीलाल बरलोटा ने खाद्य संयम विषय पर अपने विचार रखे। उपासक लक्ष्मीलाल सिंघवी ने बताया कि खाद्य संयम के दिन कम से कम उपवास या द्रव्य संयम करना चाहिए। उन्होंने उपासक आचार संहिता तथा श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया।
स्वाध्याय दिवस का मंगलाचरण तेरापंथ महिला मंडल वाशी नवी मुंबई द्वारा किया गया। प्रवक्ता उपासक दिनेश कोठारी दुबई ने उत्तराध्ययन और दशवैकालिक आगमों के आधार पर बताया कि स्वाध्याय से ज्ञानावरणीय कर्मों का क्षय होता है| पहले ज्ञान प्राप्त करके फिर ही दया धर्म का पालन किया जा सकता है। उपासक जयंतीलाल बरलोटा थाना ने बताया कि स्वाध्याय के पाँच प्रकार हैं- वाचना, पृच्छना, परिवर्तना, अनुप्रेक्षा, धर्मकथा। उपासक लक्ष्मीलाल सिंघवी ने बताया कि स्वाध्याय से ज्ञान प्राप्त होता है। जैसे दूध प्राप्त करने की विधि का ज्ञान जरूरी है उसी तरह मोक्ष जाने के मार्ग का ज्ञान जरूरी है। वाणी संयम दिवस पर मंगलाचरण ज्ञानशाला परिवार वाशी द्वारा किया गया। उपासक दिनेश कोठारी वाणी संयम दिवस पर बताया कि ऐसी बोली बोलें जो दूसरों को भी शीतलता प्रदान करे और स्वयं को भी शीतल बनाए। जयंतीलाल बरलोटा ने समझाया कि ज़्यादा बोलना भी अनिष्टकारी हो सकता है। उपासक लक्ष्मीलाल सिंघवी ने बताया कि कोयल मीठी वाणी बोलकर सब को अपना बना लेती है| कार्यक्रम का संचालन तेरापंथ महिला मंडल सहमंत्री विजेता भंसाली ने किया। अणुव्रत चेतना दिवस कार्यक्रम का मंगलाचरण अणुव्रत समिति क्षेत्रीय संयोजक वाशी द्वारा किया गया। अणुव्रत गीत भिक्षु भक्ति मंडल वाशी द्वारा किया गया। उपासक दिनेश कोठारी ने कृष्ण लेश्या के लक्षणों का विस्तार से वर्णन करते हुए, कृष्ण लेश्या के भावों से बचने की प्रेरणा दी। जयंतीलाल बरलोटा ने अणुव्रत के नियम बताते हुए समझाया कि विश्व-शांति के लिए अणुव्रत बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं। उपासक लक्ष्मीलाल सिंघवी ने श्रावक की 11 प्रतिमाओं के बारे में विस्तार से बताया। कार्यक्रम का संचालन ज्ञानशाला परिवार वाशी सह संयोजिका सोनिया सिंघवी ने किया। जप दिवस पर मंगलाचरण प्रेक्षा प्रशिक्षका वाशी द्वारा किया गया। उपासक दिनेश कोठारी ने कहा कि चतुर्विंशति स्तव से दर्शन की विशुद्धि होती है। स्तवन, स्तुति से ज्ञान, दर्शन, चरित्र और बोधि का लाभ प्राप्त होता है। उपासक जयंतीलाल बरलोटा ने कहा ध्वनि और शब्दों में शक्ति होती है। जैसे युद्ध के नगाड़ों से जोश आता है वैसे ही मंत्र भी प्रभावशाली होते हैं। उपासक लक्ष्मीलाल सिंघवी ने शालिभद्र की कहानी सुनाई। कार्यक्रम का संचालन ज्ञानशाला परिवार वाशी मुख्य सह संयोजिका सेजल सियाल ने किया।
ध्यान दिवस का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र से किया गया। मंगलाचरण तेरापंथ महिला मंडल कोपरखैरना द्वारा किया गया। प्रवक्ता उपासक दिनेश कोठारी ने बारह व्रती श्रावक बनने की प्रेरणा देते हुए तैजस लेश्या के लक्षणों की विस्तार से चर्चा की। आगम में बताए गए ध्यान के प्रकारों की चर्चा करते हुए बताया कि व्यक्ति को आर्त्त ध्यान व रौद्र ध्यान से बचना चाहिए तथा धर्म ध्यान व शुक्ल ध्यान में रमना चाहिए। उपासक जयंतीलाल बरलोटा ने बताया कि ध्यान से तत्व विज्ञान, वैराग्य, निर्ग्रंथता, अनासक्ति, समचित्तता, परिषह पर विजय प्राप्त होती है| उपासक लक्ष्मीलाल सिंघवी ने मधुर गीत ‘हंस उड़ा तो अकेला उड़ा‘ के माध्यम से एकत्व भावना और अन्यत्व भावना का प्रयोग करने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का संचालन रेखा मेहता ने किया। संवत्सरी महापर्व के रूप में कार्यक्रम तेरापंथ समाज वाशी द्वारा गोल्ड क्रेस्ट वाशी नवी मुंबई में आयोजित किया गया| कार्यक्रम का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र से किया गया, मंगलाचरण कन्या मंडल वाशी द्वारा किया गया। प्रवक्ता उपासक दिनेश कोठारी ने प्रेक्षा ध्यान का प्रयोग करवाया एवं भगवान ऋषभ, भगवान नेमिनाथ, भगवान पार्श्व के जीवन वृत्त को संक्षेप में बताया। पद्म और शुक्ल लेश्या के लक्षणों की चर्चा की। उपासक जयंतीलाल बरलोटा ने भगवान महावीर के पूर्व भवों और उनके सर्वज्ञ काल की चर्चा की। उपासक लक्ष्मीलाल सिंघवी ने भगवान महावीर के जन्म से लेकर उनके साधना काल की चर्चा की | दूसरे चरण में तपस्वियों का सम्मान किया गया। तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम वाशी के अध्यक्ष दिलखुश मेहता ने 10 छात्रों को मेधावी छात्रों का सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथ सभा के परामर्शक चेतन कोठारी ने किया।