साधना की मूल कुंजी है सामायिक
पर्युषण महापर्व का तीसरा दिन बड़े ही उल्लास के साथ जोरावरपुरा में साध्वी शशिरेखा जी आदि ठाणा पांच के सान्निध्य में मनाया गया। अभातेयुप द्वारा निर्देशित अभिनव सामायिक कार्यक्रम के अवसर पर साध्वी कांतप्रभाजी ने उपस्थित परिषद को अभिनव सामायिक की जानकारी प्रदान की। सामायिक में त्रिपदी वंदना, जप व प्रेक्षा ध्यान का प्रयोग करवाया गया। साध्वी श्री ने कहा कि सामायिक ही हमारी आत्मा है। आत्मा में निवास करने के लिए सामयिक करना चाहिए। सामायिक द्रव्य व भाव दोनों प्रकार की होनी चाहिए।
आचार्य तुलसी द्वारा अभिनव सामायिक उपक्रम को शुरू किया गया। सामायिक एक आवश्यक तत्व की उपलब्धि है। एक मुहूर्त की सघन साधना ही सामायिक है। सामायिक करने से व्यक्ति के 84 लाख योनि के कुछ भव कम हो सकते हैं। 48 मिनट की सामायिक में अपनी आत्मा में निवास कर, मन को एकाग्र कर, स्वाध्याय के साथ मन की मलिनता को धोया जा सकता है। साध्वी श्री ने तेरापंथ धर्मसंघ के विशिष्ट श्रावक मिश्रीमल सुराणा व पूनिया श्रावक की सामायिक के उदाहरण को बताते हुए सभी भाई-बहनों को प्रतिदिन सामायिक स्वाध्याय करने की प्रेरणा दी। तेयुप अध्यक्ष सुनील मरोठी और सुरेंद्र कुमार बुच्चा ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।