तपस्या आत्म शोधन का महानतम उपाय है
तेरापंथ सभा दिल्ली के तत्वावधान में साध्वी कुन्दनरेखाजी के सान्निध्य में अणुव्रत भवन में तप अभिनन्दन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर साध्वीश्री ने कहा- संयम का महानतम उपक्रम है तपस्या। इस प्रयोग से आसक्ति को परास्त कर तपस्वी अन्तर्चेतना को शुद्ध बनाता है। जीवन की अनन्त संभावनाओं पर लगे ताले को तपस्या की चाबी से खोला जा सकता है। इसलिए तपस्वी अभिनंदनीय एवं अनुशंसनीय होता है। अणुव्रत भवन में अशिका दुगड़ 15 दिन, अंकुर दुगड़ 8 दिन, मंजु कोठारी 13 दिन, राजेश दुगड़ 8 दिन, प्रांजल खटेड़ 15 दिन, पवन बैद 8 दिन, महेश खटेड़ 8 दिन, नखत सिंघी 8 दिन आदि तपस्वियों की अनुमोदना करते हुए साध्वीश्री ने कहा मोक्ष के चार मार्ग में एक तपस्या भी है। इस शक्ति से शिखर का स्पर्श किया जा सकता है।
साध्वी सौभाग्ययशा जी ने कहा - भैक्षव शासन में तपस्या करने वाले श्रावक-श्राविकाएं एवं साधु-साध्वियां अपने कर्मों की उत्कृष्ट निर्जरा कर रहे हैं। प्रत्येक वर्ष तपस्या की झड़ी लगती है। सूरत में तो मानो तपस्या की मूसलाधार वर्षा हो रही है, नई दिल्ली में भी भाई-बहनों का उत्साह सराहनीय है। साध्वी कल्याणयशा जी ने कहा कि तप जीवन का आधार है, मुक्ति का द्वार है। दिल्ली तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया ने कहा हिम्मती मनुष्य तप कर आत्मानन्द में डूबकियां लगाते हैं। तपस्या के मार्ग का अनुसरण विरले ही कर पाते हैं। समाज भूषण मांगीलाल सेठिया ने भी तपस्वियों के प्रति अपने उदगार व्यक्त किए। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा मंत्री प्रमोद घोड़ावत ने किया।