31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम

संस्थाएं

31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम

31वें विकास महोत्सव का कार्यक्रम साध्वी कुन्दनरेखाजी के सान्निध्य एवं तेरापंथी सभा दिल्ली के तत्वावधान में अणुव्रत भवन में हुआ। इस अवसर पर साध्वी कुन्दनरेखाजी ने कहा- तेरापंथ धर्मसंघ के विकास की दिशा है आध्यात्मिक उन्नयन, और इसकी साधना है प्रशिक्षण एवं हृदय परिवर्तन। इसके निर्माण में चार मुख्य भूमिकाएं कार्य करती हैं- आचार-विचार की पवित्रता, अहंकार और ममकार का विसर्जन, अनुशासन, और विकास। संघीय विकास की दर सदैव उन्नत रही है और इसका कारण है पारस्परिक सौहार्द, सेवा, विहार क्षेत्रों में संवृद्धि, सार-संभाल, जनसंपर्क, साहित्य सृजन, वक्तृत्व, संगीत एवं अन्य आध्यात्मिक कलाओं का योग। इन सभी में आचार्यों की समझ, आगम ज्ञान, और आध्यात्मिक विद्वता का सुंदरतम योग रहा है। आचार्य भिक्षु से पूज्य कालूगणी तक अनेक विकास के पथ प्रशस्त हुए। गुरुदेव तुलसी ने न केवल धर्मसंघ को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी, बल्कि तेरापंथ संघ को जैन धर्म का पर्याय बनाया। उन्होंने जैन विश्व भारती, आगम संपादन, अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान और जीवन विज्ञान के जरिये अंतर्चेतना को जागृत किया। वर्तमान में आचार्य श्री महाश्रमण इस परंपरा को और ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं। प्रलम्ब यात्राएं, शनिवार की सामायिक, पंचाचार की साधना, सुमंगल साधना आदि आत्मशोधन के कार्य कर रहे हैं।
साध्वी सौभाग्ययशाजी ने कहा कि वर्तमान युग विकास के नाम पर विध्वंसता की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। युद्ध की विभीषिका चारों तरफ हिंसा का तांडव रच रही है। ऐसे समय में जैन धर्म का प्रतिनिधि तेरापंथ संघ मानवीय मूल्यों की जीवंतता हेतु अध्यात्म के आलोक में मानव मात्र को नई दिशाएं प्रदान कर उत्थान के मार्ग को उद्घाटित कर रहा है। साध्वी कल्याणयशाजी ने कहा कि प्रतिकूल में अनुकूल, नकार में सकार, और नकारात्मक में सकारात्मक दृष्टि को खोज लेना गुरुदेव तुलसी की मौलिक विशेषता थी। उन्होंने व्यक्तियों का निर्माण, साहित्य सृजन और जनसंपर्क द्वारा विकास के नए द्वार खोले। हम सौभाग्यशाली हैं कि हम इस विकासशील धर्मसंघ में निरंतर आत्मा को शुद्ध कर कर्मों की निरंतर निर्जरा कर रहे हैं।
इस अवसर पर पन्नालाल वैद, तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष गिरीश जैन, मॉडल टाउन सभा के अध्यक्ष प्रसन्न जैन, युवक परिषद के मंत्री मुदित लोढ़ा, हीरालाल गेलड़ा, महिला मंडल की पूर्व अध्यक्ष मंजु जैन, कल्पना सेठिया, कविता सुरेश जैन, गीता सुशील जैन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का कुशल संचालन विकास बोथरा ने किया।