31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम
डॉ. साध्वी परमयशाजी ने 31वें विकास महोत्सव कार्यक्रम में कहा कि किसी देश की प्रतिष्ठा नामी कम्पनियों, कल कारखानों, नामचीन हस्तियों से ही नहीं होती, देश की प्रतिष्ठा होती है ऋषि-मुनियों के चरित्र, चिंतन, आचार और व्यवहार से। 20वीं सदी में राजस्थान की पावन धरा पर एक प्रकाशपुंज बनकर आए आचार्य तुलसी का जीवन आश्चर्यों की वर्णमाला है। वे पावरफुल जीवन जीते। उनकी मैत्री, विद्धता, वैराग्य और करूणा ने देश के दिग्गजों को प्रभावित किया। साध्वीवृंद ने 'तुलसी नाम समस्या को करता है छूमंतर' कार्यक्रम की रोचक प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मंडल ने मंगलाचरण में 'युगप्रधान ने युगधारा को दिए नए अवदान' गीत की सुंदर प्रस्तुति दी। साध्वी विनम्रयशाजी, साध्वी मुक्ताप्रभाजी और साध्वी कुमुदप्रभाजी ने पृथक-2 कविता के माध्यम से विकास पुरूष के प्रति भावों की अभिव्यक्ति दी। विकास महोत्सव पर तेरापंथ सभाध्यक्ष कमल नाहटा, लक्ष्मण सिंह कर्णावट, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा सीमा बाबेल, कैलाश बाबेल, गीता चौरड़िया, कांता खिमावत आदि ने अपने विचार रखे।