संयम से आत्मा को भावित करने का पर्व है पर्युषण
तेरापंथ भवन, कांदीवली, मुंबई में पर्युषण पर्वाराधना का आयोजन साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में किया गया। खाद्य संयम दिवस– साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी ने कहा- हर सम्प्रदाय भाद्रव माह में उत्सव मनाता है। इस माह में अध्यात्म के विकिरण स्वतः स्फूर्त होते हैं। हम उन महापुरुषों के प्रति कृतज्ञ हैं जिन्होंने इस पर्युषण महापर्व को आठ दिन मनाने का सुचिन्तन किया। साध्वी श्री ने कहा- प्रदर्शन से आत्मदर्शन की दिशा में प्रस्थान पर्युषण है। पर्युषण का अर्थ है, चारों दिशाओं से हटकर आत्मा में निवास करना। आवश्यकता है पर्युषण में निर्धारित अष्टदिवसीय साधना कर हम आत्मा को पुष्ट बनाएं। इस अवसर पर चतुर्दशी हाजरी वाचन करते हुए साध्वीश्री ने कहा- तेरापंथ का हर साधु-साध्वी अनुशासन और मर्यादा का सम्मान करते हैं। श्रावक समाज को भी यह चिन्तन करना चाहिए- हमारा सम्यकत्व सुरक्षित रहे, लौकिक और लोकोत्तर धर्म स्वस्थ रहे। आहार संयम के संदर्भ में साध्वीश्री जी ने जैन जीवन शैली अपनाने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम की शुरुआत महिला मंडल कांदिवली के मंगल संगान से हुई। साध्वीवृन्द ने सामूहिक संगान किया। साध्वीवृन्द द्वारा- 'पर्युषण आया गाइड के साथ' की रोचक प्रस्तुति दी गई। साध्वी चैतन्यप्रभा जी ने नए अंदाज में आहार संयम के टिप्स बताए। श्री तुलसी महाप्रज्ञ फाउण्डेशन अध्यक्ष मेघराज धाकड़ ने स्वागत संभाषण किया, मंत्री प्यारचंद मेहता ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी राजुलप्रभा जी ने किया।
स्वाध्याय दिवस- साध्वीश्री ने कहा- स्वाध्याय व्यक्ति को आत्महित की प्रेरणा देता है। आगम साहित्य में ध्यान के साथ स्वाध्याय करने की प्रेरणा दी गई है। सद्ग्रन्थों के स्वाध्याय से कठिन समस्थाओं को सुलझाया जा सकता है। श्रावक समाज को जैन दर्शन, तत्त्वदर्शन, आगम दर्शन और तेरापंथ दर्शन आदि का स्वाध्याय करना चाहिए। साध्वी राजुलप्रभाजी और साध्वी चैतन्यप्रभा जी ने भगवान महावीर और पर्युषण साक्षात्कार की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का प्रारंभ मलाड महिला मंडल के संगान से हुआ। साध्वी वृन्द ने गीत का संगान किया। साध्वी अतुलयशा जी ने 'स्वाध्याय की प्रेरणा - होती रहे जागरणा' विषय पर विचाराभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन साध्वी सुदर्शनप्रभा जी ने किया।
सामायिक दिवस- तेरापंथ युवक परिषद कांदिवली और मलाड द्वारा अभिनव सामायिक का आयोजन किया गया। साध्वीश्री ने कहा- समता का स्वीकरण और ममत्व का त्याग सामायिक है। सामायिक साधना से छह काय के जीव निर्भय बन जाते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत तेयुप कांदिवली के 'बलिदानी संघ हमारा' गीत से हुई। साध्वी शौर्यप्रभा जी ने अपनी भावना व्यक्त की। साध्वी वृन्द द्वारा- 'समता की अनुपम साधना' गीत का संगान किया गया । साध्वी डॉ. मंगल प्रज्ञा जी द्वारा - भगवान महावीर के जीवन दर्शन पर नयसार का भव प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी अतुलयशा जी ने किया।
वाणी संयम दिवस- साध्वीश्री ने कहा- आज चिंतन करने का दिन है - When to speak? Where to speak? Why speak? How to speak? What to speak? जीवन व्यवहार में इन प्रश्नों का आलम्बन लें। भगवान महावीर ने भाषा विवेक पर बल दिया। अनावश्यक और ऊँची आवाज में नहीं बोलना चाहिए। घर-परिवार में अधिकतर समस्याएं वाणी के अविवेक से आती हैं। कहा जाता है पानी मर्यादा तोड़ता है, तब विनाश होता है और वाणी मर्यादा हीन हो तो महाविनाश होता है। साध्वी सुदर्शनप्रभा जी ने कहा- वाणी एक आभूषण है इसकी सुरक्षा और समीक्षा अपेक्षित है। मलाड युवक परिषद द्वारा मंगल संगान किया गया। साध्वी वृन्द द्वारा 'पत्थर भी बन जाता है' प्रस्तुति से वाणी संयम की महत्ता बताई। कार्यक्रम का संयोजन साध्वी चैतन्यप्रभा जी ने किया।
अणुव्रत चेतना दिवस- साध्वी श्री ने कहा, तेरापंथ के विस्तार में आचार्य श्री तुलसी का महायोगदान है - अणुव्रत। जैन समाज के चिंतन का विषय, जागरण का समय है। सामाजिक कुरीतियों को हराने का अपने घर से प्रयास करें। अणुव्रत के नियम जीवन पथ को रोशनी से भरने वाले हैं। तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद गोरेगांव ने 'जय जय भिक्षुशासन' गीत का सह संगान किया। साध्वी वृन्द ने ''सम्यक्त्व एयरलाइन्स'' की शानदार प्रस्तुति दी। मीनाक्षी भुतोडिया ने मधुर संगान किया। अणुव्रत डिजिटल डिटोक्स संयोजक दलपत बाबेल ने कहा- आज की जरूरत है डिजिटल डिटॉक्स से जीवन शैली बदले। सह संयोजक चिराग पामेचा ने भी अपनी बात रखी। संचालन साध्वी शौर्यप्रभा जी ने किया।
जप दिवस- साध्वीश्री ने कहा- मंत्र विद्या समस्याओं का सटीक समाधान है। शक्ति प्राप्ति का अमोघ उपाय है। हम सौभाग्यशाली हैं जिन्हें आध्यात्मिक साधना हेतु मंत्रों का वैभव प्राप्त है। मंत्र में शब्द, भावना और प्रकम्पन मिलते हैं तो वे शक्ति शाली बन जाते हैं। साध्वी श्री ने कहा जप करने की सही विधि का ज्ञान अपेक्षित है। करमाला, मणिमाला, वर्णमाला से आवर्त, ओम, शंखावर्त, नन्दावर्त की विशेष साधना की जाती है। साध्वीवृन्द ने 'आओ करे सिद्धालय की सैर' की मोहक प्रस्तुति दी। आसीन्द से समागत अभिनव चोरडिया ने मंगल संगान किया। दहिसर महिला मंडल ने मंगलाचरण की प्रस्तुति दी। साध्वी शौर्यप्रभा जी ने विचार व्यक्त किए। साध्वी वृन्द ने 'जप से मिलती है शांति' सामूहिक संगान किया। मंच संचालन साध्वी सुदर्शनप्रभा जी ने किया।
ध्यान दिवस- साध्वी श्री ने कहा कि भगवान महावीर ने साढ़े बारह वर्ष ध्यान साधना की। जैन परम्परा में ध्यान का प्रमुख स्थान रहा है। प्रायः विलुप्त ध्यान पद्धति को आचार्य तुलसी और प्रेक्षा प्रणेता आचार्य महाप्रज्ञ जी ने पुनर्जीवित किया। देश-विदेश की यात्राओं के अनुभवों को साझा करते हुए साध्वी जी ने कहा - ध्यान साधना से अनेक चेतनाओं ने आनन्द, शक्ति और शांति की प्राप्ति की है। श्रावक समाज प्रेक्षाध्यान को जीवन के साथ जोड़ें। बोरिवली ज्ञानशाला, कन्या मंडल, युवक परिषद, महिला मंडल ने भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी शौर्यप्रभा जी ने किया।
संवत्सरी महापर्व- साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी ने कहा- संवत्सरी जैन परम्परा का सिरमौर पर्व है। आज क्षमा का मार्ग बताने वाले ऐसे महापर्व की जरूरत है। इस पर्व के आलोक में साधक अपनी अन्तरात्मा का अवलोकन कर पवित्रता के पथ पर बढ़ने का संकल्प करता है। मीनाक्षी भूतोडिया और रविन्द्र मालू ने अपने गीतों से सबका मन मोहा। साध्वी राजुलप्रभा जी एवं साध्वी अतुलयशा जी ने आगमिक, उत्तरवर्ती आचार्यों का जीवन प्रस्तुत किया। साध्वी चैतन्यप्रभा जी ने गणधर परम्परा, निन्हव परम्परा की यात्रा करवाई। साध्वी सुदर्शनप्रभा जी ने तेरापंथ की आचार्यों की जीवन झांकी प्रस्तुत की। साध्वी शौर्यप्रभा जी ने तेरापंथ की साध्वी प्रमुखाओं का जीवन दर्शन प्रस्तुत किया। साध्वीवृंद द्वारा श्रद्धेय आचार्य महाप्रज्ञ जी द्वारा रचित - 'आत्मा की पोथी पढ़ने का' गीत का संगान किया गया।
क्षमायाचना- साध्वी श्री ने कहा- आज अतीत की कथा को समाप्त करें। फोरगेट और फोरगिव इन सूत्रों को याद करें। जिन्दगी की ऊबड़-खाबड़ राह पर फिसलना, गिरना स्वाभाविक है, गिर कर संभलना श्रेयस्कर है। साध्वी वृंद ने मैत्री गीत का संगान किया। कांदिवली, मलाड, दहिसर, गोरेगांव, बोरीवली- तेरापंथ सभा, तेरापंथ महिला मंडल, युवक परिषद ने अपनी टीम के साथ साध्वी वृन्द से क्षमा याचना की। श्री तुलसी महाप्रज्ञ फाउंडेशन अध्यक्ष मेघराज धाकड़ ने क्षमा स्वर प्रस्तुत किया और कांदिवली में प्रदत्त चातुर्मास हेतु गुरुदेव के प्रति आभार व्यक्त किया। मंत्री प्यारचंद मेहता ने आभार ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संयोजन तेरापंथ सभा मुंबई के उपाध्यक्ष दलपत बाबेल ने किया। हजारों व्यक्तियों ने पौषध आराधना एवं जप-तप आराधना कर महापर्व को उत्साह के साथ मनाया।