संयम से आत्मा को भावित करने का पर्व है पर्युषण
पर्युषण पर्व पर आचार्य श्री महाश्रमण जी के निर्देशानुसार पंचकूला में प्रवक्ता उपासक पारसमल दूगड़ (मुंबई) एवं सहयोगी उपासक रमेश कुमार सिंघवी (मुंबई) की उपस्थिति में कर्म निर्जरा के इस पावन पर्व पर प्रत्येक दिवस का आयोजन सुव्यवस्थित रूप से किया गया। प्रातः कालीन प्रवचन में आगम वाणी, कालचक्र, तीर्थंकर चारित्र, भगवान ऋषभ, भगवान पार्श्वनाथ एवं भगवान महावीर के जन्म से लेकर निर्वाण तक प्रस्तुति दी। रात्रि कालीन कार्यक्रम में राग-द्वेष, क्रोध, मान, माया, लोभ से परिवारों को बचने की राह दिखाई एवं तत्वों को सरल कहानियों के माध्यम से समझाने का प्रयास किया। सहयोगी उपासक रमेश कुमार सिंघवी ने पर्युषण दिवसों के निर्धारित विषयों, संवत्सरी महापर्व और क्षमापना दिवस के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। सात दिनो में प्रेक्षाध्यान, आसन, प्राणायाम, अद्भुत मुद्राओं एवं ध्यान के प्रयोग भी करवाए गए। संवत्सरी महापर्व पर कुल 52 पौषध हुए। सातों दिन निरंतर जाप, एकासन, उपवास और आयम्बिल भी हुए। तेरापंथी सभा, महिला मंडल, युवक परिषद आदि सभी संस्थाओं ने बड़े उत्साह व उमंग से कार्य किया एवं पूरे समाज की सराहनीय सहभागिता रही।