प्रेरणा और प्रकाशदायक है भगवान महावीर की जीवनी
'शासनश्री' साध्वी विद्यावतीजी 'द्वितीय' ठाणा 5 के सान्निध्य में पर्युषण पर्व का शिरोमणि दिवस संवत्सरी महापर्व मनाया गया। तेरापंथ कन्या मंडल के मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। सर्वप्रथम साध्वी प्रेरणाश्रीजी ने भक्तामर का पाठ कर प्रेक्षाध्यान का प्रयोग करवाया। तत्पश्चात् उत्तराध्ययन सूत्र पर प्राक् वक्तव्य दिया। साध्वी विद्यावतीजी ने भगवान महावीर के जन्म से लेकर निर्वाण तक का सुंदर चित्र प्रस्तुत किया। साध्वीश्री ने कहा- भगवान महावीर क्षमासूर थे, उन्होंने संगम द्वारा दिये गये बीस मारणांतिक कष्टों एवं उपसर्गों को भी समभाव से सहन किया। भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा स्वयं के लिए एवं संसार के लिए वरदान रूप में सिद्ध हुई। साध्वी प्रियंवदाजी ने कहा- भगवान महावीर की जीवनी प्रकाशदायक एवं प्रेरणादायक है। चौंतीस अतिशय एवं पैंतीस वचनातिशय से युक्त उनका जीवन विलक्षण था।
साध्वी मृदुयशाजी ने जैन धर्म के प्रभावक आचार्यों पर प्रकाश डाला, गणधरवाद का सुंदर चित्रण करते हुए संवत्सरी की महत्ता बताई। साध्वी ऋद्धियशाजी ने आगम युग के प्रभावशाली आचार्यों के जीवन से जनता को अवगत कराया। लोकेश जैन ने गीत का संगान किया। अंत में साध्वी विद्यावतीजी ने तेरापंथ की आचार्य परंपरा का विवेचन करते हुए कहा- वर्तमान में आचार्य श्री महाश्रमण जी तेरापंथ धर्मसंघ का कुशल नेतृत्व कर रहे हैं। सद्भावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति का प्रचार- प्रसार कर जनता का आत्मोत्थान कर रहे हैं। कृष्णा हॉल में आयोजित प्रवचन में दादर, वडाला, कुर्ला, माटुंगा, धारावी, सायन आदि क्षेत्रों के भाई-बहनों की सराहनीय उपस्थिति रही।