अध्यात्म का उज्ज्वल पथ है तप

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अध्यात्म का उज्ज्वल पथ है तप

मुनि जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में तप अभिनंदन समारोह का आयोजन प्रेक्षा विहार में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा साउथ हावड़ा द्वारा किया गया। इस अवसर पर हार्दिक दुगड़ के मासखमण तप अभिनंदन के साथ-साथ लगभग 35 तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। मुनिश्री ने कहा आत्म साधना के चार उपाय हैं- ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप। जीव तप से परिशुद्ध होता है। तप अध्यात्म का उज्ज्वल पथ है। तप से पूर्वाजित कर्मों का क्षय होता है। तप इन्द्रिय विजय का सुगम पथ है। तप की सरिता में जो न्हाता है उसका निस्तार हो जाता है। तप रोग मिटाने की औषध है, शक्ति व शांति प्रदायक है। आचार्य प्रवर की कृपा से तपस्या का अच्छा वातावरण निर्मित हुआ है। हार्दिक दूगड़ ने 19 वर्ष की उम्र मासखमण कर साहस व हिम्मत का परिचय दिया है। तपस्या में विवेक भी जरूरी है, घर की अनुकुलता व संतों की प्रेरणा भी काम आती है। इस अवसर पर साध्वीप्रमुखाश्री द्वारा मासखमण तपस्वी को प्रदत्त संदेश का वाचन पूर्वांचल सभा के अध्यक्ष संजय सिंघी ने किया। स्वागत भाषण साउथ हावड़ा सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत बाफणा ने दिया। तप अनुमोदना में विजय सिंह दुगड़ ने अपने विचार व्यक्त किये। कुछ दिन पूर्व मासखमण तप करने वाली मनीषा गोलछा ने अपने अनुभवों के साथ विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंदजी ने व तप सम्मान उपक्रम का संचालन मंत्री बसंत पटावरी ने किया। सभा द्वारा तपस्वियों सम्मान किया गया।