आचार्य भिक्षु के 222वें चरमोत्सव पर विविध कार्यक्रम
साध्वी राकेशकुमारीजी के सान्निध्य में भिक्षु चरमोत्सव मनाया गया। उपासिका विद्या जैन, प्रेक्षा प्रशिक्षक मीना जैन, खुशबु जैन ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। साध्वीश्री ने आचार्य भिक्षु के जीवन दर्शन को उजागर करते हुए कहा- वीतराग वाणी के भाष्यकार, सतपथ के खोजी, आत्मगवेशी आचार्य भिक्षु आत्मार्थी महापुरुष थे। लोहपुरुष आचार्य भिक्षु प्रतिकूल परिस्थितियों, संघर्षों, विघ्न बाधाओं से घबराये नहीं बल्कि अबाध गति से अध्यात्म के समरांगण में गतिशील बने रहे और वीर प्रभु की वाणी को जन-जन तक पहुंचाने में रत रहे। साध्वीश्री ने आगे कहा- आचार्य भिक्षु व उत्तरवर्ती आचायों की स्वस्थ परम्परा की बदौलत आज तेरापंथ धर्मसंघ लाखों-लाखों का आश्रय स्थान व पावन तीर्थधाम बना हुआ है। साध्वी मलयविभाजी, साध्वी विपुलयशाजी, साध्वी चेतस्वीप्रभाजी ने मुक्तक व विचारों द्वारा अपने श्रद्धा स्वर प्रस्तुत किए। नरेन्द्र तातेड़ ने सुन्दर गीत की प्रस्तुति दी। अध्यक्ष रमेश धोका ने विचार व्यक्त किये।