आचार्य भिक्षु के 222वें चरमोत्सव पर विविध कार्यक्रम
मुनि जिनेशकुमारजी ठाणा-3 के सान्निध्य में 222वां आचार्य श्री भिक्षु चरमोत्सव प्रेक्षा विहार में साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित हुआ। इस अवसर पर मुनि जिनेशकुमार जी ने कहा- आचार्य भिक्षु भारतीय संस्कृति के दैदीप्यमान नक्षत्र थे। उनका पूरा जीवन काल संघर्षमय था, वे संघर्षो में जिए लेकिन घबराए नहीं और अपने लक्ष्य की ओर गति करते गए। उन्होंने संयमकाल में भव्य जीवों को तारा और लोगों को सुपथ पर चलने की प्रेरणा दी। उनकी धर्म क्रांति ही तेरापंथ की आधार शिला बनी। भगवान महावीर के प्रति उनकी अनन्य भक्ति थी। उन्होंने शरीर की नश्वरता को समझ कर सिरियारी में अनशन स्वीकार किया। भाद्रव शुक्ला त्रयोदशी के दिन सात प्रहर के अनशन में सिरियारी में समाधिमरण को प्राप्त हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ 'ॐ भिक्षु' के जप से हुआ। इस अवसर पर मुनि परमानंदजी ने कहा- आचार्य श्री भिक्षु साधना के सजग प्रहरी थे। उनका आचार पवित्र एवं चरित्र उज्ज्वल था। वे सहिष्णुता के शिखर थे। मुनि कुणालकुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। तेरापंथ महिला मंडल ने भिक्षु स्तुति गीत का संगान किया। सभा मंत्री बसंत पटावरी ने विचार व्यक्त किये। 'ॐ भिक्षु' का 24 घंटे जप भी किया गया।