31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम

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31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम

साध्वी अणिमाश्री जी के सान्निध्य में खिलौनी देवी धर्मशाला में तेरापंथ सभा के तत्वावधान में विकास महोत्सव का भव्य आयोजन हुआ। साध्वीश्री ने अपने प्रेरणादाई उद्बोधन में कहा- विरल विशेषताओं के महापुंज आचार्य श्री तुलसी की गौरव गाथा सागर से भी अधिक गहन एवं हिमालय से भी अधिक ऊंची है। प्रभु तुलसी की जीवन गाथा, भाग्य एवं पुरुषार्थ के महानायक की गाथा है। उनका पुरुषार्थ सफल हुआ, उनके सपने सच हुए, उनके पीछे उनका मुखर कर्तृत्व बोल रहा है।उन्होंने धर्म संघ के हर घटक को अभिसिंचन दिया, संपोषण दिया, वहीं संपूर्ण मानव जाति के विकास और उत्थान के हेतु भी बने। उन्होंने धर्म संघ के हर आयाम को नई दिशा व नई ऊर्जा से संप्रेरित किया। व्यक्तित्व निर्माण की कला में सिद्ध हस्त आचार्य तुलसी ने आचार्य महाप्रज्ञ जी, आचार्य महाश्रमण जी, शासन शमाता साध्वी प्रमुखा कनकप्रभाजी जैसे अनेकों व्यक्तित्वों का निर्माण किया। उन्होंने धर्म संघ को तेजस्वी, ओजस्वी एवं वर्चस्वी बनाया। साध्वी कर्णिकाश्री जी ने कहा- आचार्य तुलसी का शासन काल विकास की वर्णमाला से गुंफित एक महाशिला अभिलेख है। उन्होंने अपनी जीवन रूपी खेती में विकास के बीज वपन किए जिसके मीठे फल हम आज खा रहे हैं। डॉ. साध्वी सुधाप्रभा जी ने कहा- आचार्य तुलसी ने आचार्य पद का विसर्जन ऐसे समय में किया जब उनके पास सब कुछ था। ऐसे गौरवशाली आचार्य पद का विसर्जन कर उन्होंने मानवता को बोध पाठ दिया। साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने कहा कि धर्म संघ के प्रखर महासूर्य आचार्य तुलसी के शासनकाल को विकास का स्वर्णिम युग कहा जा सकता है। साध्वी समत्वयशा जी ने सुमधुर स्वरांजलि अर्पित की। सभा के मंत्री वीरेंद्र जैन, दिल्ली सभा के उपाध्यक्ष विमल बैंगनी ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। राजेश खिमेसरा एवं राकेश जैन ने गीत प्रस्तुत किया।