31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम
साध्वी संगीतश्री जी के सान्निध्य में ओसवाल भवन में 31वां विकास महोत्सव कार्यक्रम मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ साध्वीश्री द्वारा तुलसी अष्टकम् के संगान के साथ हुआ। साध्वीश्री ने कहा कि तेरापंथ धर्म संघ के नवमें आचार्य श्री तुलसी के नाम में ही चमत्कार है। तु- तुम्हारे, ल- लक्ष्य, सी- सिद्ध, अर्थात तुुम्हारा लक्ष्य सिद्ध हो। आपकी नाड़ी के हर स्पंदन में विकास के नए मानचित्र अंकित थे। हर रक्त की बूंद में स्वस्थ समाज की परिकल्पना थी। यही कारण कि वे तेरापंथ धर्म संघ के नवाधिशास्ता होते हुए भी 20 वीं सदी के आध्यामिक जगत के शीर्षस्थ महापुरूष कहलाए। अणुव्रत अनुशास्ता की जीवन गाथा एक महामानव की आत्मकथा है। आपने संघ में अनेकानेक अवदान दिए। 11 वर्ष में आप जैन मुनि बने, 22 वर्ष में आचार्य पद पर आसीन, 33 वर्ष में अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया, 44 वर्ष में लम्बी यात्राएं की, 55 वर्ष में जैन विश्व भारती प्रारम्भ किया, 66 वर्ष में समण श्रेणी का निर्माण किया, 77 वर्ष में भिक्षु चेतना वर्ष मनाया गया। आप संघ के ऐसे विकास पुरोधा थे जिन्होंने नारी जाति का उत्थान किया।
साध्वी शांतिप्राभाजी, साध्वी कमलविभाजी एवं साध्वी मुदिताश्रीजी ने अपने दीक्षा गुरू के प्रति अभ्यर्थना व्यक्त की। ओसवाल समाज के अध्यक्ष आनंद बुच्चा, पुर्वी दिल्ली महिला मंडल अध्यक्ष सरोज सिपानी ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। पूर्वी दिल्ली महिला मंडल की बहनों ने सुमधुर गीत प्रस्तुत किया। शाहदरा सभाध्यक्ष राजेन्द्र सिंघी ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम का संचालन किया।