31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम

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31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम

डॉ. साध्वी शुभप्रभाजी के सान्निध्य में विकास महोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर साध्वीश्री ने कहा - भारतीय परमपरा में क्रांति और शांति का प्रतीक उन्हें माना जाता है जिसमें संवेदना, साहस, विवेक, वेदना, पवित्रता, प्रखरता, चेतना, चेतावनी सघनता से विद्यमान हो। इस कोटि में एक नाम आचार्य श्री तुलसी का है। विकास कौन कर सकता है? जिसका हौसला बुलन्द हो, तकदीर मेहरबान हो, पुरूषार्थ की लौ मंद ना पड़े एवं जिनकी सोच सकारात्मक हो वो किसी भी फील्ड में सफल हो सकता है। विकास महोत्सव आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा दिया गया एक महान् अवदान है। इसमें अतीत का सिंहावलोकन, वर्तमान की समीक्षा एवं भविष्य की योजना बनाने का अवसर है।
साध्वी कान्तयशाजी ने अपने विचार व्यक्त किए। साध्वी मंदारयशाजी, साध्वी अनन्यप्रभा जी ने कविता एवं गीतिका के माध्यम से अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। राजू छाजेड़ ने तुलसी अष्टकम् से मंगलाचरण किया। सभाध्यश राजेश बुच्चा, तेयुप अध्यक्ष लोकेश सेठिया, तेममं की ओर से ज्ञानशाला आंचलिक प्रभारी कान्ता चिण्डालिया, अणुव्रत समिति की ओर से सुमन भंसाली ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन महिला मंडल मंत्री मनीषा बेद ने किया।