31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम
साध्वी कीर्तिलताजी के सान्निध्य में तेरापंथ धर्म संघ के नवमें आचार्य गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी का 31वां विकास महोत्सव उल्लासमय वातावरण में मनाया गया। साध्वीश्री के नवकार महामंत्र उच्चारण से कार्यक्रम का शुभ आगाज हुआ। साध्वीश्री ने अपने प्रवचन में कहा कि विकास महोत्सव त्याग की कोख से जन्मा है। आचार्य तुलसी ने सर्वोच्च शिखर पर पहुँचकर अपने पद का विसर्जन किया तो आज यह विकास महोत्सव संघ को उपलब्ध हुआ। गणाधिपति तुलसी ने अपने 6 दशक के शासनकाल में नये-नये आयाम दिए, जिसकी वजह से आज यह संघ कोहिनूर की तरह चमककर पूरे विश्व का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। युग आयेंगे और चले जाएँगे पर आचार्य तुलसी के कर्तृत्व एवं व्यक्तित्व की गूंज सदैव अमर रहेगी। साध्वी शांतिलताजी, साध्वी पूनमप्रभाजी, साध्वी श्रेष्ठप्रभाजी ने आचार्य तुलसी के नौ दशक की जीवन यात्रा में उनके द्वारा प्रदत्त अवदानों को रोचक अन्ताक्षरी के माध्यम से प्रस्तुत किया। साध्वी शांतिलता ने मंच का कुशल संचालन करते हुए कहा- तुलसी का जीवन नवीनता का परिचय था, उनके जीवन की महिमा को जमाना याद करेगा। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया ने विकास महोत्सव पर विचार रखते हुए कहा कि गुरुदेव तुलसी के जीवन से हम त्याग व विसर्जन के सूत्र सीखेंगे तो हमारा संघ स्वतः विकास के परचम पर होगा। आपने महासभा की महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी प्रदान की। बाल कलाकार दक्ष बडोला, सिद्धार्थ दुगड़, जीया चोरडिया ने सुमधुर गीत से कार्यक्रम का मंगलाचरण किया। सभा अध्यक्ष जसराज चोरडिया ने महासभा अध्यक्ष का स्वागत अभिनंदन करते हुये अपनी भावना प्रकट की। तेरापंथ महिला मंडल की बहिनों ने तुलसी अभिवंदना में गीतिका प्रस्तुति की।