31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी के सान्निध्य में विकास महोत्सव का कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुनिश्री ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ एक विकासशील धर्मसंघ है। प्रत्येक आचार्य ने अपनी क्षमतानुसार इस धर्मसंघ को उत्तरोत्तर विकसित किया है, इसकी सुरक्षा के साथ इसका विस्तार किया है। नवमाचार्य श्री तुलसी ने मानो इसका कायाकल्प कर दिया। नाना आयामों के द्वारा केवल तेरापंथ और जैन धर्म का ही नहीं मानव जाति का उत्थान, कल्याण हो इसलिए उन्होंने अनेकों अवदान दिए। अणुव्रत, जीवन विज्ञान, प्रेक्षाध्यान के द्वारा व्यक्ति, परिवार, समाज, देश और विश्व का भविष्य बना, उन्हें विस्मृत नहीं किया जा सकता है। गुरुदेव ने अपने आचार्य पद का विसर्जन कर पदलिप्सित युग को बोध पाठ दिया। भाद्रव सुदी नवमी के दिन जब आचार्य श्री तुलसी का पट्टोत्सव मनाने को संघ तैयार हुआ, उस समय गुरुदेव ने फरमाया कि पट्टोत्सव वर्तमान आचार्य का मनाया जाता है, अतः अब आचार्य महाप्रज्ञ जी का पट्टोत्सव मनाया जाए। उस समय आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने निवेदन किया- गुरुदेव आपने धर्मसंघ का चहुंमुखी विकास किया है, उसकी स्मृति के लिए हम इस दिवस को विकास महोत्सव के रूप में सदा सदा मनाते रहेंगे। कार्यक्रम में मुनि अमनकुमारजी, मुनि नमिकुमारजी, मुनि मुकेशकुमारजी ने भी गीत व वक्तव्य के माध्यम से अपने सारगर्भित विचार प्रकट किए। मुनि कमल कुमारजी ने फरमाया कि कुछ दिनों पूर्व मुनि नमिकुमारजी ने 51 दिनों की तपस्या का पारणा किया था। आज 14 की तपस्या है और आगे का भी विचार है। कार्यक्रम से पूर्व केसर देवी परमार ने 20 एवं जगदीश जैन ने 12 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। कार्यक्रम में महिला मंडल की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्षा कुमुद कच्छारा, सभा अध्यक्ष दलपत जैन, महिला मंडल अध्यक्षा सीमा कोठारी, अणुव्रत समिति संयोजक अनिल चंडालिया, ज्ञानशाला से पवित्रा आँचलिया, उपासिका उर्मिला बडाला, कन्या मंडल, युवक परिषद् आदि ने गीत व वक्तव्य के माध्यम से अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।