31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम
तेरापंथ भवन में आयोजित विकास महोत्सव कार्यक्रम में साध्वी राकेशकुमारीजी ने कहा - अध्यात्म विकास की गंगोत्री अनवरत बहाने वाले, उत्कृष्ट साधना के शिखर पुरुष युग प्रधान आचार्यश्री तुलसी कालजयी व्यक्तित्व थे। उनकी यशोगाथा दिगदिगन्त में गूंज रही है। वे असंप्रदायिक धर्म के मंत्रदाता थे। उन्होंने धर्म को मठों, पंथों एवं ग्रंथों से निकाल कर जीवन व्यवहार में, दिनचर्या का अंग बनाने का महनीय काम किया। साध्वी मलयविभाजी ने कहा- राष्ट्रीय संत तुलसी का जीवन सतरंगी जामा लिए हुए था। विश्व क्षितिज पर विकास के नये-नये आयाम खोले, वे वात्सल्य के महास्रोत थे। साध्वी विपुलयशाजी ने कहा- प्रज्ञा, प्रेम, प्रोत्साहन, प्रबन्धन, पराक्रम ये आचार्य तुलसी के जीवन सूत्र थे। सभाध्यक्ष वंशीलाल पटवारी एवं रमेश धोका ने भी अपने विचार व्यक्त किए।