31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम
विकास महोत्सव के अवसर पर मुनि हिमांशुकुमारजी ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए महापुरुषों के गुणों और उनके समाज के प्रति योगदान पर प्रकाश डाला। मुनिश्री ने कहा- महापुरुष वह होते हैं जो हर परिस्थिति में समत्व की साधना करते हैं, चाहे वह सम्मान हो या अपमान। समत्व का यह गुण उन्हें संतुलित बनाए रखता है और विपरीत परिस्थितियों में भी समाज को कुछ नया देने की क्षमता प्रदान करता है। आचार्य श्री तुलसी ने इसी गुण को अपनाते हुए समाज और राष्ट्र के लिए अद्वितीय योगदान दिया। मुनि हेमंत कुमार ने भी अपने विचार रखते हुए कहा, विकास के लिए लक्ष्य की स्पष्टता और उससे जुड़े सम्यक पुरुषार्थ का होना आवश्यक है। विकास के मार्ग में आने वाली चुनौतियां हमें सावधान रहने और सही दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। जब तक हम अपनी इच्छाओं से बंधे रहते हैं, लक्ष्य की प्राप्ति कठिन हो जाती है।