31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम
'शासनश्री' साध्वी विद्यावतीजी 'द्वितीय' ठाणा 5 के सान्निध्य में 31 वें विकास महोत्सव का कार्यक्रम आयोजित किया गया। साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के बाद उपासिका मंजु मारू, स्नेहलना कोठारी, इंदु धाकड आदि बहनों ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। साध्वी विद्यावतीजी ने अपने उद्बोधन में कहा- आचार्य तुलसी ने विकास के कई आयाम दिये। स्वयं का विकास, संघ का विकास, समाज का विकास एवं राष्ट्र का विकास हो इसके लिए गुरुदेव तुलसी ने जैन जीवन शैली, नया मोड, विसर्जन, अणुव्रत आंदोलन आदि कई सूत्र दिये। मृत्युभोज सामाजिक कुरुदियों आदि को मिटाने के लिए जागरण का आह्वान किया।
साध्वी प्रियंवदाजी ने कहा- गुरुदेव तुलसी से जुडा हुआ यह विकास महोत्सव विकास का सिंहावलोकन कराता है। साध्वी मृदुयशाजी ने कविता प्रस्तुत की। साध्वी ऋद्धियशाजी ने गुरुदेव तुलसी द्वारा प्रदत्त विकास के बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उपासक गणपतलाल मारू एवं छोटुलाल सुराणा ने क्रमशः वक्तव्य एवं गीत द्वारा मनोभाव प्रकट किए। कार्यक्रम का संचालन साध्वी प्रेरणाश्रीजी ने किया।