संयम से आत्मा को भावित करने का पर्व है पर्युषण
मुनि कुलदीप कुमार जी के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व की विशेष आराधना हुई। मुनि कुलदीप कुमार जी ने भगवान महावीर के जीवन वृत्त को व्याख्यायित करते हुए कहा- भगवान महावीर का जीवन गुणों का महान संचयन है। उन्होंने जन्म-जन्मांतरों की कलुष संस्कारों की परतों को उतारा, भीतरी अनावरण हुआ और आत्म कर्तृत्व से वे अनुपमेय बन गये। भगवान महावीर की सहिष्णुता हमारे लिए आदर्श और अनुकरणीय है।
मुनि मुकुल कुमार जी ने विभिन्नमुखी विषयों पर जीवन कौशल, जीवन प्रबंधन एवं उन्नति के रहस्यमय सूत्रों पर उद्बोधन देते हुए कहा - पर्युषण महापर्व के उपलक्ष पर एक संकल्प अवश्य करें कि मैं अपने क्रोध पर विजय प्राप्त करने का प्रयत्न करूंगा। क्योंकि क्रोध के आने पर सुख के नीड़ को उजड़ने या उजाड़ने में पल भर का भी समय नहीं लगता। सारे अपराधों, दुखों, अशांति एवं अमानवीय कार्यों के लिए हमारा क्रोध और आवेग ही जिम्मेदार है। क्रोध मनुष्य की विवेक चेतना को ही नष्ट नहीं करता अपितु उसके सपनों, शुभ भविष्य, सुख, शांति, समृद्धि और ज्योतिर्मय जीवन को भी नष्ट कर देता है। आचार्य महाप्रज्ञ विद्या निधि फाउंडेशन, श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद महिला मंडल, अणुव्रत समिति संयोजक, किशोर मंडल, कन्या मंडल, ज्ञान शाला परिवार दक्षिण मुंबई एवं श्रावक समाज का पूरा सहयोग रहा।