कर्मों के शिथिलीकरण  का उपाय है तपस्या

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कर्मों के शिथिलीकरण का उपाय है तपस्या

तेरापंथ भवन कांदिवली में साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में आमेट निवासी पवन बोहरा (धर्मपत्नी कमलेश बोहरा) तथा निधिका वोहरा (सुपुत्री निर्मल बोहरा) के मासखमण तप का अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर अपने उद्बोधन में साध्वीश्री ने कहा साधना की धुरी आत्मा होती है। जब आत्मा का ऊर्ध्वगमन होता है तब ही आत्मा का विकास होता है। आत्मा की यात्रा ऐसी यात्रा है जिसे न‌ व्यक्ति नीचे गिरा सकता है न उंचा उठा सकता है।‌ जिस प्रकार भारीपन के कारण पत्थर नीचे और हल्केपन के कारण रूई और धुआं ऊपर की ओर गति करते हैं, इसी प्रकार कर्मों के भारीपन के कारण आत्मा अधोगामी बन जाती है। तपस्या एक ऐसा उपक्रम है जिसकी आराधना से आत्मा ऊर्ध्व गामी बन सकती है। तपस्या कर्मों के शिथिलीकरण का उपाय है। आज दो मासखमण साधिका पवन और निधिका संकल्प के साथ सोपान पर चढ़ रही हैं। लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में प्रस्थान कर रही हैं, वे निरन्तर आगे बढ़ती रहे।
कार्यक्रम का प्रारंभ साध्वी वृंद द्वारा वीतराग वंदन से हुआ। बोहरा परिवार की ओर से कमलेश बोहरा ने अपने भाव प्रदर्शित किए। तेरापंथ महिला मंडल कांदिवली और बड़ा परिजनों ने तप अभिवंदना में अलग-अलग संगान किए। साध्वी प्रमुखा श्री द्वारा प्रदत्त संदेशों का वाचन तेरापंथ सभा कांदिवली के मंत्री रतनलाल सिंघवी और युवक परिषद अध्यक्ष राकेश सिंघवी ने किया। अभिनंदन पत्र का वाचन महिला मंडल अध्यक्ष विभा श्रीश्रीमाल और नीतू दुगड़ ने किया। साध्वी वृंद ने अनुमोदन गीत प्रस्तुत किया। महिला मंडल ने लघु नाटिका प्रस्तुत की। तेरापंथ सभा, युवक परिषद, महिला मंडल द्वारा तपस्विनी बहनों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथ युवक परिषद कांदिवली के मंत्री पंकज कच्छारा ने किया।