आचार्य भिक्षु के 222वें चरमोत्सव पर विविध कार्यक्रम
साध्वी संयमलताजी के सान्निध्य में 222वां भिक्षु चरमोत्सव का आयोजन स्थानीय तेरापंथ भवन मण्डिया में किया गया। मंगलाचरण में साध्वी वृंद ने गीत की प्रस्तुति दी। साध्वी मार्दवश्री जी ने भिक्षु भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा- तेरापंथ धर्मसंघ आचार्य भिक्षु के हिमालयी संकल्प की फलश्रुति है। आचार्य भिक्षु की तपस्या रूपी खाद ने संघ की धरती को उर्वर बनाया और पुरुषार्थ रूपी पानी का सिंचन पाकर फसल लहलहा उठी। साध्वी रौनकप्रभाजी ने कहा आचार्य भिक्षु भीतरी ज्योति तक पहुंच गए, वे स्वयं ज्योतिर्मय बन गए। रात्रिकालीन धम्म जागरणा में श्रावक भक्तिरस से सराबोर होकर भिक्षुमय बन गए।