आचार्य भिक्षु के 222वें चरमोत्सव पर विविध कार्यक्रम
मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य में 222वें भिक्षु चरमोत्सव पर 'एक शाम भिक्षु के नाम' धम्मजागरण का आयोजन प्रेक्षा विहार में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा एवं तेरापंथ युवक परिषद् दक्षिण हावड़ा द्वारा किया गया। तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम, साउथ हावड़ा व तेयुप दक्षिण कोलकाता सहयोगी संस्था के रूप में थे। धम्मजागरण के मुख्य संगायक जागृत कोठारी थे। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुनिश्री ने कहा - आचार्य श्री भिक्षु तेरापंथ धर्म संघ के प्राण देवता थे, संस्थापक व प्रवर्तक थे। वे हमारी आस्था के केन्द्र हैं। उनका जीवन हमारे लिए आदर्श है। उनकी सत्यनिष्ठा बेजोड़ थी, उनका जीवन साधना से ओतप्रोत था। उनका सुमिरण करने से भव-भव के संचित कर्म क्षम हो जाते हैं। उनको स्वार्थ से नहीं परमार्थ की दृष्टि से जपना चाहिए। धम्म जागरण में जागृत कोठारी ने मधुर भजनों का संगान किया। मुनिश्री ने कई भिक्षु गीतों का आंशिक संगान भी किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि कुणालकुमार जी के सुमधुर भिक्षु भक्ति गीत के संगान से हुआ। स्वागत भाषण सभा के उपाध्यक्ष बजरंग डागा व तेयुप उपाध्यक्ष विक्रम भंडारी ने दिया। तेयुप साउथ हावड़ा की महाश्रमण भजन मंडली व तेयुप साउथ कोलकाता की भजन मंडली ने सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी। आभार ज्ञापन संगठन मंत्री सुनित नाहटा ने व संचालन पारस बरडिया ने किया। तेयुप एवं सभा द्वारा मुख्य संगायक जागृत कोठारी का सम्मान किया गया।