
आचार्य भिक्षु के 222वें चरमोत्सव पर विविध कार्यक्रम
साध्वी मधुस्मिताजी के सान्निध्य में पश्चिम अहमदाबाद तेरापन्थ भवन में प्रथम बार विशाल रूप में आचार्य भिक्षु चरमोत्सव एवम् धम्म जागरण का कार्यक्रम मनाया गया। साध्वीश्री के नमस्कार महामंत्र के द्वारा आज के कार्यक्रम का शुभारंभ किया। साध्वीश्री ने कहा- आचार्य भिक्षु ने ज्योतिर्मय, मनोवैज्ञानिक जीवन जिया। आचार्य भिक्षु सबके लिए संसार समुद्र के तारक बने। साध्वीश्री ने आगे कहा कि ज्योतिर्मय जीवन जीना कला है तो ज्योतिर्मय मरण महाकला है। अंतिम समय में आपने हर दोष की आत्मलोचना की। आपने सबको निरतिचार संयम पालने की शिक्षा प्रदान की। चरमोत्सव के अवसर पर अनेकों भाई बहनों ने उपवास एवं पौषध की आराधना की। साध्वी सहजयशा जी ने कहा आचार्य भिक्षु को खाने में जहर एवं रहने के लिए यक्ष चैत्यालय मिला। लोगों के दिए गए कष्ट उनके लिए राजमार्ग बन गए, बड़ी समता से उन्होंने सभी कष्टों को सहन किया। साध्वी प्रदीपप्रज्ञाजी ने संचालन किया। मुक्ता महनोत ने भिक्षु अष्टकम एवं गीत के द्वारा मंगलाचरण किया। दक्षा दक, राजेंद्र बोथरा, उपासिका विनोदबाला डागा, युवा गौरव डॉ. धवल डोशी ने आचार्य भिक्षु की अभिवन्दना में अपनी प्रस्तुति दी। सांयकाल विराट रूप में धम्म जागरण का कार्यक्रम चला। सभा अध्यक्ष सुरेश दक ने सबका आभार व्यक्त किया।