आत्मा को पोथी पढ़ने का अवसर है संवत्सरी महापर्व

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आत्मा को पोथी पढ़ने का अवसर है संवत्सरी महापर्व

साध्वी उदितयशा जी के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व की विशिष्ट साधना के बाद संवत्सरी महापर्व के अभूतपूर्व रंग में रंगे साधक-साधिकाओं ने चौविहार/तिविहार उपवास के साथ प्रतिपूर्ण पौषध की आराधना कर धन्यता का अनुभव किया। संवत्सरी महापर्व पर साढे़ तेरह घंटे चलने वाले इस कार्यक्रम में श्रोता व दर्शक आगम वाणी का रसास्वादन करते हुए भगवान ऋषभ व महावीर के जीवन प्रसंगों को सुनकर आत्मतोष का अनुभव कर रहे थे। इन्द्रभूति आदि 11 गणधरों का भगवान के शिष्यत्व को स्वीकार करना, चन्दनबाला को दासत्व के चंगुल से मुक्त कर आत्मोद्धार के लिए संयम प्रदान करना आदि प्रसंग गौरवशाली इतिहास की अभिव्यक्ति करा रहे थे। हजारों उपवास एवं 1000 से भी अधिक पौषध रत साधकों के द्वारा मैत्री की अनुप्रेक्षा, अठारह पाप की अनुप्रेक्षा व सीमंधर स्वामी से साक्षात्कार का क्षण श्रावक-श्राविकाओं के लिए एक रोमांचकारी उपक्रम था। साध्वी वृंद ने प्रेरणा देते हुए कहा कि चौरासी लाख जीव योनियों से खमत खामणा करना अच्छी बात है लेकिन हम हमारे आस-पास वालों से व विशेष रूप से उनसे जिनसे हमारा मन मुटाव हुआ हो, या हमने उनसे बोलना बंद कर दिया हो उनसे विशेष खमतखामणा करना आवश्यक है। साध्वी उदितयशा जी आदि चारों साध्वियों के अथक परिश्रम व कार्यकर्ताओं की लगन व दायित्व निष्ठा से फ्रीडम पार्क में संवत्सरी महापर्व का सम्पूर्ण कार्यक्रम सफलता से संचालित हुआ। साध्वी श्री ने कहा कि यह सब गुरु कृपा एवं गुरु आशीर्वाद से ही संभव है।