आत्म साधना का पथ है तप

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आत्म साधना का पथ है तप

राजलदेसर
तप आत्म साधना का पथ है, मोक्ष मंजिल का रथ है, संयम तप आरोग्य मंत्र है, शांति समाधि का तंत्र है। उक्‍त विचार तेरापंथ भवन में डॉ0 साध्वी परमयशा जी के सान्‍निध्य में 78 वर्षीय श्रावक शुभकरण बैद द्वारा 45 दिवसीय तप करने पर आयोजित तप अभिनंदन समारोह में व्यक्‍त किए।
बैद परिवार के द्वारा गीत की स्वर लहरियों के साथ मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। तप अभिनंदन में पारिवारिकजनों के द्वारा छोटी सी लघु नाटिका की प्रस्तुति दी। 45 दिवसीय तपस्या के अवसर पर तेममं एवं तेरापंथ कन्या मंडल की 45 सदस्याओं द्वारा सुमधुर संगान के साथ 45 चीजों का तप त्याग एवं नियमों का गुलदस्ता भेंट किया गया।
इस अवसर पर साध्वीश्री जी ने कहा कि जैन धर्म में तप का विशेष महत्त्व है। त्याग और तप जैन धर्म जैसे संस्कृति का मूल आधार है। इस अवसर पर नायब तहसीलदार सुभाष कुल्हरी ने साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा जी द्वारा प्राप्त संदेश का वाचन किया। थाना अधिकारी एसएचओ डॉ0 महेंद्र सेन, वरिष्ठ विचारक कुंदनमल दाधीच, श्रीराम विद्यालय के व्यवस्थापक भुवनेश्‍वर शर्मा एवं स्वामी विवेकानंद शिक्षण संस्थान के व्यवस्थापक श्रवण राम एवं अणुव्रत समिति के अध्यक्ष लाभचंद सोनी ने तप के प्रति अपने भावों की अभिव्यक्‍ति दी। सभा के अध्यक्ष नवरत्नमल बैद ‘मूथा’, सभा के ट्रस्टी पन्‍नालाल दुगड़, तेयुप के अध्यक्ष मुकेश श्रीमाल, तेममं की अध्यक्षा प्रेम देवी विनायकिया ने अपने भावों से तप की अभ्यर्थना की। साध्वी धर्मयशा जी, साध्वी विनम्रयशा जी, साध्वी मुक्‍ताप्रभा जी, साध्वी कुमुदप्रभा जी ने तपस्या की अनुमोदना में गीत प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर अनेक सभा-संस्थाओं के पदाधिकारीगण एवं सदस्यगण उपस्थित थे। आभार ज्ञापन तेममं की मंत्री सविता बच्छावत ने किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वीवृंद एवं पवन बोथरा द्वारा किया गया।