याचक भावों से कृत-कृत भावों में भीगी दिल्ली

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याचक भावों से कृत-कृत भावों में भीगी दिल्ली

भारत देश की राजधानी व तेरापंथ ही नहीं वरन् समग्र जैन धर्मावलंबियों के दृष्टिकोण से सघन प्रवास क्षेत्र होने के कारण दिल्ली का महत्व विशिष्टतम् है। इन वर्षों में दिल्ली की विभिन्न स्थानीय सभाओं का प्रायः गुरु दर्शनार्थ संघ ले जाने का कार्यक्रम रहता ही है, इस वर्ष दिल्ली सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया ने गुरू दर्शनार्थ व चातुर्मासिक अर्ज हेतु दिल्ली सभा के तत्वावधान में वृहद एकल संघ ले जाने का संकल्प किया, एक उद्घोष दिया "दिल्ली वाले आए हैं दिल्ली लेकर जाएंगे"। पहले चिंतन किया गया कि लगभग 400 लोग संघबद्ध जाएंगे, तिथि का भी निर्धारण कर लिया गया। परन्तु नियत कुछ और ही था। दिल्ली में विराजित चारित्रात्माओं की प्रेरणा से अर्ज को और प्रभावी बनाने हेतु निर्णय किया गया कि यह संख्या चार अंकों में हो। इसके लिए तेरापंथ समाज के अलावा अन्य सम्प्रदाय व अध्यात्म प्रेमियों से परिपूर्ण यात्रियों की संख्या में अंकों की बढ़ोत्तरी की जाए।
लक्ष्य रखा गया 1100 से ज्यादा का। युगप्रधान पूज्य गुरूदेव की ऊर्जा व अनुकम्पा से देखते ही देखते संख्या 1300 पार हो गई। दिल्ली से विशाल संघ दिनांक 27 सितंबर को दिल्ली से रवाना होकर 28 सितंबर को प्रातः सूरत पहुंचा। प्रातः सभी ने गुरुदेव के मुखारविंद से अमृत देशना का श्रवण किया। दोपहर में साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभा जी ने असीम अनुकंपा करते हुए विशाल संघ को विशेष सेवा का सुअवसर प्रदान किया। अनेक वक्ताओं ने दिल्ली की भावनाओं के ज्वार को शब्दों में समेटने का पूर्ण प्रयास किया। अनुरोध के क्रम में दिल्ली सभाध्यक्ष सुखराज सेठिया ने निवेदित किया कि पूर्व में आचार्यों के चातुर्मासों की अपेक्षा इस बार अंतराल बहुत ज्यादा आ गया है, दिल्ली से जो संदेश विश्व में जाता है उसकी अनुगूंज भी विशेष होती है। शासन माता की समाधि 'वात्सल्य पीठ' भी गुरूकृपा हेतु प्रतीक्षारत है, तथा साध्वीप्रमुखा के रूप में आपके प्रथम पदार्पण का भी दिल्ली की धरा को इंतज़ार भी है एवं स्वागत हेतु लालायित भी है। शासनसेवी कन्हैयालाल जैन पटावरी ने भी सारगर्भित वक्तव्य में पधारने का अनुरोध किया और दिल्ली की सार-संभाल को सामयिक अपेक्षा बताते हुए प्रमुखाश्री को दिल्ली वालों के साथ अर्ज में अपनी भूमिका पुरजोर निभाने का निवेदन किया। सम्पूर्ण समाज की भावनाओं की अभिव्यक्ति समाज भूषण अजातशत्रु मांगीलाल जी सेठिया ने और दिल्ली के पांचों महिला मंडल का प्रतिनिधित्व करते हुए सुनीता जैन ने पुरजोर अनुरोध किया।
दिल्ली के अनेक विशिष्ट गायक भी यात्रा में विशेष रूप से सम्मिलित थे, उन्होंने प्रमुखाश्री जी के समक्ष अर्ज़ के गीत का मधुर संगान किया। मंच संचालन दिल्ली सभा के महामंत्री प्रमोद घोड़ावत ने किया। पूज्यप्रवर की सेवा के समय गुरुदेव के समक्ष समाज भूषण अजातशत्रु मांगीलाल सेठिया, शासनसेवी कन्हैयालाल जी पटावरी, दिगम्बर जैन समुदाय एवं पंजाब केसरी दैनिक के संपादक स्वदेश भूषण जैन, दिगंबर जैन समाज से शरद कासलीवाल, श्वेताम्बर मूर्तिपूजक सम्प्रदाय से ललित नाहाटा, जीतो की ओर से किशोर कोचर, अणुव्रत समिति अध्यक्ष मनोज बरमेचा, तेयुप दिल्ली अध्यक्ष राकेश बैंगाणी ने दिल्ली की अर्जी प्रस्तुत करते हुए गुरु से मर्जी की महर करवाने का भावुक अनुरोध किया
चारों जैन संप्रदायों की भावनाओं को समाहित करते हुए प्रो. रतन जैन ने निवेदन किया कि आप दिल्ली पधारें, हम सभी मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी सम्प्रदायों के आचार्य आदि मुख्य जन उस समय में दिल्ली में एकत्रित हों और दिल्ली से पूरे विश्व में जैन एकता का संदेश तो जाए ही अध्यात्म की भी अभूतपूर्व लहर चले जिससे सम्पूर्ण विश्व लाभान्वित हो।
संगायकों द्वारा भावों एवं उत्साह से परिपूर्ण गीत का संगान किया गया। युगप्रधान पूज्यश्री ने अर्ज़ की भावनाओं पर सुनवाई करते हुए अपनी घोषित अघोषित बातें बताई। शेयर बाजार से भी अधिक उतार चढ़ाव का माहौल निर्मित हो गया, मानो सभी पुनः तुलसी युग में प्रविष्ट हो गए हों। कभी प्रतीत होता कि अभी दिल्ली का चातुर्मास फरमा देंगे और कभी लगता कि मानो आने वाले कुछ वर्षों तक दिल्ली की प्यास नहीं बुझेगी। अंततः सेवा का समय बिना निष्कर्ष के ही समाप्त हो गया। क्योंकि संभवतः निर्णय की प्रतीक्षित घड़ियां आई ही नहीं थी।
29 सितम्बर 2024 प्रातः महावीर समवसरण के पावन प्रवचन पण्डाल में गुरूवर का पदार्पण हुआ। महातपस्वी गुरुदेव का पवित्र आभावलय चित परिचित स्थायी मुस्कान के साथ उस समय कुछ अलग ही देदीप्यमान प्रतीत हो रहा था। दिल्लीवासी विशाल जनमेदिनी और एक अनुशासित जूलूस के रूप में समवसरण में आए और निर्धारित स्थान ग्रहण किया, लगभग सभी ने सामायिक का लाभ लिया। प्रवचन के उपरांत इंतजार की घड़ियां समाप्त होने वाली थी, यह कोई नहीं जानता था। नित्यप्रति की भांति समयबद्ध अमृत पुरुष की अमृत देशना का पान सभी ने किया। तत्पश्चात् दिल्ली वालों को पुनः अर्ज़ का समय संप्राप्त हुआ।
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने वक्तव्य में सम्पूर्ण दिल्ली वासियों व प्रशासन की ओर से विनती की और पूर्ण सहयोग का विश्वास दिलाया। राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोहिया ने केन्द्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए भावाभिव्यक्ति दी एवं ऐतिहासिक और विरल चातुर्मास के प्रति आशाश्वित किया। पंजाब केसरी दैनिक मुखपत्र की चेयरपर्सन किरण चोपड़ा ने समाज के विभिन्न वर्गों तक महाश्रमण वाणी को पहुंचाने का संकल्प जताया। हल्दीराम उद्योग समूह के मधुसूदन अग्रवाल तथा टी एम लालानी दिल्ली के उद्योगपतियों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। इनके अलावा भी समाज के अनगिनत गणमान्य व्यक्तियों विभिन्न संस्थाओं के प्रमुख पदाधिकारियों से सुशोभित दिल्ली संघ की छटा ही निराली थी।
वक्ताओं से दिल्ली की अर्ज़ सुनकर पूज्यवर कृपावृष्टि कराने को अर्जी पर मर्जी की मुहर लगाने को अब तैयार थे। अल्प संबोधन के उपरांत जैसे ही घड़ी में 12 बजकर 1 मिनट बजे वैसे ही गुरूदेव ने नवकार मंत्र का उच्चारण आरंभ किया, दिल्ली वासी आश्चर्य मिश्रित आह्लाद से सराबोर हो गए, पंडाल में शांति व्याप्त हो गई, सभी की धड़कनें थम सी गई। समवसरण में बैठे बहुतायत लोगों के जीवन में एक अद्वितीय क्षण घटित हो गया था, संभवतः अधिकांश लोगों को जीवन में प्रथम बार साक्षात अवसर मिला था। कृपा निधान ने करूणा रस बरसाते हुए अविलम्ब बिना भूमिका के ही समय काल भाव की अनुकूलता से 2027 का चातुर्मास दिल्ली को प्रदान कर दिया। दिल्ली सभाध्यक्ष व कन्हैयालाल पटावरी सरीखे प्रखर वक्ताओं को भी भावनाओं को शब्द देने की आवश्यकता नहीं पड़ी। दिल्ली वालों के दिलों में उल्लास का सागर उमड़ पड़ा, सीमाएं पार कर बाहर आने लगा। अत्यंत देखने योग्य दृश्य बन गया था सभी उत्साहित होकर एक-दूसरे को बधाईयां दे भी रहे थे और स्वीकार भी कर रहे थे कुछ तो मानो भावनाओं के अतिरेक में नृत्य करने लगे तो कईयों के नेत्र अश्रुपूरित हो गए । सम्पूर्ण दिल्ली वासी झूम उठे। दिल्लीवासी झांकियों - गीत आदि से भी अपनी अर्ज़ रखते उस से पूर्व ही गुरुवर ने उन पर कृपावृष्टि कर दी। कृतज्ञ अध्यक्ष एवं मंच संचालक महामंत्री अपने भाग्य सराह रहे थे। संगायक कृतज्ञता ज्ञापन के गीत गा रहे थे। करूणानिधि ने मंगलपाठ प्रदान करवाया। सभी श्रद्धालु तय कार्यक्रम के अनुरूप झोली भरकर सायंकाल दिल्ली वापसी को तैयार थे। एक सुखद सुफल यात्रा सुसम्पन्नता की ओर अग्रसर हो गई। यात्रा के संयोजकीय दायित्व का निर्वहन सभा के मंत्री अशोक संचेती एवं भवन व्यवस्थापक संदीप डूंगरवाल ने किया। सूरत चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति का अविस्मरणीय सहयोग, उदारमना जीतमल चोरड़िया, दिल्ली की समस्त स्थानीय सभा, तेरापंथ युवक परिषद् , महिला मंडल आदि संस्थाओं का सराहनीय समर्पण एवं उल्लेखनीय योगदान सूरत यात्रा में दिल्ली सभा को प्राप्त हुआ। इस प्रकार जो 'दिल्ली वाले आए हैं, दिल्ली लेकर जाएंगे' का नारा लेकर सूरत पहुंचे थे वो 'दिल्ली वाले आए थे, दिल्ली लेकर जा रहे हैं' का गीत अधरों पर गुनगुनाते हुए कृत कृत भावों से पुनः एक बार फिर ऐतिहासिक चातुर्मास का संकल्प हृदयंगम करते हुए दिल्ली की ओर प्रस्थान कर गए।