गुरुवर तुलसी को वंदन
जिनकी महामुद्रा में बसती अष्ट सिद्धियां पावन।
गुरुवर तुलसी को वंदन।।
महाप्राण महाभाग गुरुवर एक झलक दिखलावो,
द्वार खड़े हैं भक्त हजारों उनकी आश पुरावो।
करुणासागर आत्मा उजागर चरण धूलि है चन्दन।।
भारत ज्योति विश्व विभूति शत-शत नमन हमारा,
राष्ट्र संत युगप्रधान का जीवन दर्शन ध्रुवतारा।
सात समंदर तक तुम छाए, झूमर वदना नंदन।।
ह्रदय पटल पर ध्यान लगाओ, छवि मिलेगी मेरी,
महाप्रज्ञ में तुमने देखी अविरल आभा मेरी।
मेरे महाश्रमण का हर अंदाज मानो कुंदन।।
कालजयी कर्तृत्व तुम्हारा किन छंदों में गाएं,
तेजोमय अवदान सुहाने रचते नयी ऋचाएं।
सदियों सदियों अमर रहेंगे अभियानों के स्पंदन।।
तेजस्वी पट्टधर कालू के लेखक चिंतक वाचक,
प्रवचन का नैपुण्य शुभंकर आगम के संपादक।
सरस्वती के वरदपुत्र का परम यशस्वी मंथन।।
लय : हो ऐसा देश...