गण रो सुयश बढा़यो

गण रो सुयश बढा़यो

तप है मुक्ति रो सोपान, प्रभु वीर बतायो। 
थांरी अद्भुत अनुपम तपस्या, गण रो सुयश बढा़यो।।
धन्ना मुनिवर क्यूं तन री, ममता तोड़ी,
खाणै पीणै री आसक्ति छोड़ी।
थांरी अद्भुत समता देख मनड़ो हरसायो।।
धुन रा धुनी थे पक्का, हिम्मत भारी,
थांरी तपस्या लागै, इचरजकारी। 
मृन्मय देही में चिन्मय रो अनुपम दीप जलायो।।
धैर्यप्रभा नाम सार्थक, धैर्य गुण धारी, 
सिद्धार्थ पुत्री सेवा साझै है भारी। 
तेजस्वी पुत्री सेवा साझै है भारी। 
मुनि कौशल रे मन खुशियां, जीवन सफल बणायो।।
महासतिवर प्रतिदिन मंगल पाठ सुणावै, 
थांरो मनोबल देख मन चकरावै।
हेमरेखा जी ने तपसण सेवा लाभ दिरायो।।
तर्ज : बाबै भीखणजी रो नाम जपूं भोर-भोर में