धैर्यप्रभा का अजब धैर्य
धैर्यप्रभा के अजब धैर्य का, अभिनंदन करते हैं।
योग भोग की समन्वित ज्योति का, वंदन करते हैं।।
गृहस्थ जीवन में रहे साथ हम, जिया रंग रंगीला।
भोग और फैशन संग पहना गहना स्वर्णिम पीला।।
चेन्नई में जब भी मिलते थे, हमको देते पूरा मान।
शीतल बिटिया की इच्छा को, दिया पूर्ण सम्मान।।
बोर कंदोरा बाजूबंद और पहना नवलख हार।
सुबह उठते ही लिपिस्टिक, करते निज श्रृंगार।।
चेन्नई के गुरु पावस में, बदल गया सारा संसार।
पूरे परिकर ने छोड़ भोग, थामा योग का द्वार।।
निकेत छोड़ अनिकेत बने, धैर्य कौशल तेजस्वी साथ।
चेन्नई का गौरव गगन तक, सिद्धार्थ दीक्षा के बाद।।
गुरु चरणों में सब सनाथ हैं, गुरु सबके रखवाले हैं।
तेजस्वी कौशल अग्रजा, सिद्धार्थप्रभा हिम्मत वाले हैं।।