रिश्तों को प्रगाढ़ बनाता है कृतज्ञता का भाव
मुनि सुधाकर कुमार जी के सान्निध्य में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, रायपुर द्वारा विश्व कृतज्ञता दिवस के उपलक्ष्य में विशेष आयोजन किया गया। मुनिश्री ने कहा कि संसार में कृतज्ञता का अपना महत्व है। भगवान महावीर ने प्राणीमात्र के साथ इस जगत के सभी तत्वों के प्रति कृतज्ञता अर्थात अप्रमाद संयम की भावना व्यक्त की। साथ ही भगवान ने श्रावक-श्राविकाओं से आह्वान किया कि वे अपने आप को कभी भी दीन-हीन नहीं समझे बल्कि जो मिला है उसमें आनंद पाने का प्रयास करें। हमें दूसरों के पास क्या है इसे देखते हुए दु:खी होने के बजाय यह देखना चाहिए कि हमारे पास क्या है।
मुनिश्री ने कहा कि तीन बातों में कृतज्ञता के प्रयोग से हम अपने जीवन का स्वकल्याण कर सकते हैं - स्वयं के प्रति कृतज्ञता, अपनेपन का एहसास, ईश्वर के प्रति कृतज्ञता। मुनिश्री ने आगे कहा कि पीछे का जिक्र और भविष्य की फिक्र हमें हमेशा परेशान करती है, हम वर्तमान में जीना सीखें। मुनिश्री ने सकारात्मकता के विशेष प्रयोग करवाते हुए बताया कि इन प्रयोगों से हम अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं। मुनि नरेश कुमार जी ने सुमधुर गीतिका के संगान के साथ अपने विचार व्यक्त किए।