सम्यक् दृष्टि एवं चारित्र का धारक होता है मुनि : आचार्यश्री महाश्रमण
संयम के सुमेरू आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आयारो आगम वाणी की अमृत वर्षा करते हुए फरमाया कि इसके तीसरे अध्याय में बताया गया है कि जो अमुनि होते हैं, वे सदा सोए रहते हैं, जबकि मुनि सदा जागृत रहते हैं। ज्ञानी व्यक्ति मुनि होते हैं; ज्ञान के साथ उनमें संयम और अहिंसा की चेतना भी आ जाती है। उनमें परिग्रह का त्याग होता है। मुनि में सम्यक् ज्ञान होता है। सम्यक् दृष्टि वाला व्यक्ति, जो चारित्रवान हो, वह मुनि होता है। मुनि सोते हुए भी जागता रहता है। वह धार्मिक और तात्त्विक जागरूकता रख सकता है। आचार्य श्री भिक्षु और विजयसिंहजी पटवा के प्रसंग के माध्यम से पूज्य प्रवर ने समझाया कि मुनि नींद की परवाह किए बिना तात्त्विक धार्मिक चर्चा कर सकते हैं।
आचार्य श्री भिक्षु और मुनि खेतसीजी के प्रसंग से यह भी समझाया कि सेवा के लिए मुनि को रात्रि जागरण भी करना पड़ सकता है। जो अज्ञानी होते हैं, वे जागते हुए भी सोए हुए रहते हैं। प्रमाद के कारण आदमी जागते हुए भी सोते के समान होता है, जो सघन कर्मों का बंधन कर सकता है। आयारो में बताया गया कि जो मुनि अर्थात् ज्ञानी लोग होते हैं, वे सोते हुए भी जागृत अवस्था में हो सकते हैं। साधु का साधुपन नींद में भी बना रहता है। नींद में भी जागरूकता होनी चाहिए। तीर्थंकर की माता तो स्वप्न देखने के बाद सोती नहीं हैं। कुछ सपने भविष्य की सूचना दे सकते हैं। कभी-कभी मन में चल रही बात भी स्वप्न में आ सकती है। स्वप्न में भी साधुपन रहना चाहिए।
आज आश्विन शुक्ला चतुर्दशी है। हमारे धर्मसंघ के परम पूजनीय चतुर्थ आचार्य श्रीमद् जयाचार्य का जन्म दिवस है। वे एक महान और विशिष्ट व्यक्तित्व थे। छोटी उम्र में ही साधु बन गए और क्रमशः उनका विकास भी हुआ। आचार्य भिक्षु के तो वे मान्य भाष्यकार थे, ज्ञानी श्रुतधर आचार्य थे। अंत समय में वे साधना में लग गए थे। पूज्य मघराजजी जैसे उन्हें युवाचार्य मिले, जिनसे वे गण की चिंता से मुक्त हो गए थे। आज चतुर्दशी हाजरी का दिन है और साथ ही जयाचार्य के जन्मदिन का प्रसंग भी है। हमारे भीतर भी उनकी ज्ञान की चेतना, साधना की चेतना और व्यवस्था की चेतना का विकास हो।
मंगल प्रवचन के पश्चात् पूज्य प्रवर ने कार्तिक शुक्ला नवमी 10 नवम्बर 2024 को मुमुक्षु चन्द्रप्रकाश को मुनि दीक्षा प्रदान करने की घोषणा की। ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व सूरत में आचार्यश्री दो दीक्षा समारोह कर चुके हैं। पूज्यप्रवर की सन्निधि में सूरत में यह तीसरा दीक्षा समारोह होगा। पूज्यवर ने हाजरी का वाचन कराते हुए मर्यादाओं के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।