तपस्वी व्यक्ति के मस्तिष्क से निकलने वाली तरंगें होती हैं मंगलकारी
जम्बूद्वीप चारों ओर से समुद्र से घिरा हुआ है। जब तक यहाँ त्याग, तपस्या और धर्म की उपस्थिति है, तब तक समुद्र का पानी जम्बूद्वीप में कभी प्रवेश नहीं करेगा। जब तक तीर्थंकर भगवान, लब्धिधारी मुनि और तपस्वी यहाँ निवास करेंगे, तब तक यह सृष्टि भी सुरक्षित रहेगी। त्यागी और तपस्वी व्यक्ति के शरीर और मस्तिष्क से निकलने वाली तरंगें मंगलकारी होती हैं, जो अशुभ तरंगों का शमन कर देती हैं। तप एक सुरक्षा कवच है। तपस्या जिनशासन की प्रभावना का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनती है। उपरोक्त विचार साध्वी उर्मिलाकुमारीजी ने सुहानी पीयूष कोठारी के मासखमण (29 उपवास) की संपूर्णता पर आयोजित तप अभिनंदन समारोह में तेरापंथ भवन में व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि कभी-कभी निमित्त मिलने से व्यक्ति की सोई हुई क्षमताएं जाग जाती हैं। हम परम
पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी के श्रीचरणों में नतमस्तक हैं। उनकी कृपा और आशीर्वाद से, तथा सुहानी के मनोबल और परिवार के सहयोग से, यह बड़ी तपस्या सफल हुई है। साध्वी मृदुलयशाजी ने साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी के संदेश का वाचन करते हुए उनके प्रति विनम्र कृतज्ञता व्यक्त की। साध्वीवृंद ने सामूहिक रूप से सुमधुर गीत की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर तेरापंथी सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील भांगु, तेरापंथ महिला मंडल द्वारा सामूहिक गीत, कोठारी परिवार की बहनों द्वारा गीत, तेरापंथ युवक परिषद के कोषाध्यक्ष वैभव मौन्नत, महिला मंडल से प्रतिज्ञा मौन्नत, निर्मला देवी पटवा, हेमलता जैन, पीयूष कोठारी, फूलचंद कांसवा आदि ने तप अनुमोदना में अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथी सभा के मंत्री राजेश वोरा ने किया। तेरापंथी सभा द्वारा अभिनंदन पत्र और परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी का आकर्षक चित्र भेंट कर तपस्विनी बहन को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर स्थानीय एवं आसपास के क्षेत्रों से पधारे विभिन्न श्रावक-श्राविकाओं ने तप अनुमोदना में त्याग और तपस्या का संकल्प लिया।