अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अन्तर्गत विभिन्न आयोजन

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अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अन्तर्गत विभिन्न आयोजन

मुनि यशवंतकुमार जी के सान्निध्य में स्थानीय पुराना ओसवाल भवन, जसोल में अणुव्रत समिति जसोल के तत्वावधान में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का पहला दिवस साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस के रूप में मनाया गया। मुनिश्री ने नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मंगलाचरण डूंगरचंद बागरेचा ने किया, और स्वागत भाषण अणुव्रत समिति के अध्यक्ष पारसमल गोलेच्छा ने दिया। अणुव्रत आचार संहिता का वाचन तेरापंथ सभा के अध्यक्ष भूपतराज कोठारी ने किया। अणुव्रत समिति प्रभारी लीला सालेचा ने अपने विचार व्यक्त किए।
मुनि यशवंतकुमार जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि साम्प्रदायिक सौहार्द मानवता का गुण है। यह भाव बैर, शत्रुता, दुर्व्यवहार और दुर्भाव को दूर करता है और मानव में श्रेष्ठ गुणों का विकास करता है। धर्म हमें आपस में बैर रखना या घृणा की सीख नहीं देता, बल्कि मैत्री भाव, सद्भाव और प्रेम में सहायक होता है। आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से एक ऐसे व्यावहारिक धर्म की रचना की, जिसमें हर व्यक्ति प्रेम, सद्भाव और मैत्री के साथ रहकर स्वस्थ समाज की रचना कर सकता है। मुनि मोक्षकुमार जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आचार्य तुलसी ने कहा था - आत्मशुद्धि का साधन ही धर्म है। अणुव्रत के नियमों का पालन करने से विश्व में शांति स्थापित हो सकती है। सेंट पॉल फादर रोनाल्ड रोबो ने कहा कि पूरा विश्व एक परिवार है। अगर हम एक-दूसरे को भाई-भाई मानकर चलें, तो हमारे बीच कोई हिंसा नहीं रहेगी। धर्म के नाम पर हो रहे संघर्षों के पीछे सभी अपने-अपने अहंकार लेकर चलते हैं, और यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन मानव जाति का संहार हो जाएगा। मौलाना शौकत अली अकबर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि धर्म केवल एक है, और वह है मानव धर्म। हम सभी संप्रदायों को एक मानें और उनमें से सभी अच्छी बातों को स्वीकार करें और बुराइयों को दूर करें। कौशलगिरी महाराज ने कहा कि मानव जाति के लिए आपसी सौहार्द और सद्भाव अत्यंत आवश्यक हैं। आज सभी साम्प्रदायिकता के अर्थ से परिचित हैं। ज्ञानशाला प्रभारी डूंगरचंद सालेचा ने आभार व्यक्त किया। संचालन अणुव्रत समिति के मंत्री सफरु खान ने किया। अणुव्रत समिति के पदाधिकारी, कार्यकर्त्ता सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे।