अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अन्तर्गत विभिन्न आयोजन
अणुव्रत विश्व भारती के निर्देशानुसार अणुव्रत समिति, गाजियाबाद ने जैन स्थानक सूर्य नगर में, मुनि अरुण चन्द्र जी के सान्निध्य में 'सांप्रदायिक सौहार्द दिवस' का आयोजन किया। अणुविभा के महामंत्री भीखमचंद सुराणा, अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह की राष्ट्रीय संयोजिका डॉ. कुसुम लूनिया, कृष्ण मोहन खेमका (निगम पार्षद सूर्यनगर और अणुव्रत समिति गाजियाबाद के संरक्षक) तथा जैन स्थानक के प्रधान महामंत्री सहित अन्य कई संस्थाओं के पदाधिकारी भी कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत नीता शर्मा ने अणुव्रत गीत से की। समिति की अध्यक्षा कुसुम सुराणा ने सभी धर्मगुरुओं और अतिथियों का स्वागत किया। डॉ. कुसुम लूनिया ने अणुव्रत के 11 नियमों की संक्षिप्त और प्रभावी व्याख्या की। अणुविभा के महामंत्री भीखमचंद सुराणा ने अणुव्रत का परिचय देते हुए अपने वक्तव्य में सांप्रदायिक सौहार्द दिवस की महत्ता पर प्रकाश डाला और अणुव्रत की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। फादर फ्रेड्डी ने अपने विचार साझा किए, जबकि ज्ञानी गुरविंदर सिंह ने एक कहानी के माध्यम से सांप्रदायिक सौहार्द की महत्ता पर बल दिया। ब्रह्माकुमारी निशा ने कहा कि जैसे हम अन्न का व्रत रखते हैं, वैसे ही हमें मन का व्रत भी रखना चाहिए, जिससे सुख, शांति और पवित्रता प्राप्त हो। अंत में, मुनि अरुण चन्द्र जी ने अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किए और कहा, सौहार्द एक बहुत ही सुंदर शब्द है। जीवन यात्रा किसी भी व्यक्ति, समाज या राष्ट्र के सहयोग के बिना नहीं चलती। जैन धर्म एक विचारधारा है, और वह व्यक्ति श्रेष्ठ है जिसका स्वभाव ऊंचा हो। संयम, अहिंसा, अपरिग्रह और अणुव्रत की विचारधारा को अपनाने वाला धर्म, चाहे वह कोई भी हो, महान है। संरक्षक कृष्ण मोहन खेमका ने अपने वक्तव्य में कहा कि गाजियाबाद में विभिन्न धर्म गुरुओं को एक साथ सांप्रदायिक सौहार्द दिवस के अवसर पर देखना अत्यंत सुखद अनुभव है। संचालन शरद वाष्णेय ने किया।