अनन्त खजाने को प्राप्त करने की अमूल्य निधि है - प्रेक्षाध्यान
साध्वी राकेशकुमारीजी के सान्निध्य में प्रेक्षा ध्यान कल्याण वर्ष के शुभारंभ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रेक्षा प्रशिक्षकगण द्वारा प्रेक्षागीत की स्वर लहरियों से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। साध्वी राकेशकुमारीजी ने कहा- प्रेक्षाध्यान शुभारंभ के 50 वर्ष की सम्पन्नता पर आचार्यश्री महाश्रमण जी द्वारा “प्रेक्षा कल्याण वर्ष” की घोषणा की गई, जिसके अंतर्गत पूरे वर्ष प्रेक्षाध्यान शिविर आदि के माध्यम से जन-जन की चेतना को जागृत करने का उपक्रम चलाया जायेगा। साध्वीश्री ने आगे कहा- चित्त की निर्मलता, भावों की विशुद्धि करना प्रेक्षाध्यान का प्रयोजन है। भीतर में छिपे अनन्त खजाने को प्राप्त करने की अमूल्य निधि है - प्रेक्षाध्यान। प्रेक्षाध्यान की पृष्ठभूमि है त्रिगुप्ति की साधना करना। त्रिगुप्ति की साधना फलवान होने पर ही चैतन्य जागरण की दिशा में अभूतपूर्व क्रांति घटित होती है। साध्वी मलयविभाजी ने चार चरणों में प्रेक्षाध्यान का प्रेक्टिकल प्रयोग करवाया। साध्वी विपुलयशाजी ने कुशलता से संचालन किया। महाराष्ट्र सह प्रभारी सीमा चौरडिया ने प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष की जानकारी प्रस्तुत की। तेरापंथ सभाध्यक्ष रमेश धोका ने आचार्य प्रवर के संदेश का वाचन किया।