चिन्मय दीप है अणुव्रत

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चिन्मय दीप है अणुव्रत

मुनि मुनिसुव्रतकुमारजी एवं डॉ. मुनि मदनकुमारजी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन शाहीबाग में सांप्रदायिक सौहार्द दिवस का शुभारम्भ अणुव्रत गीत के संगान के साथ हुआ। मंगलाचरण अणुव्रत समिति सदस्य छितरमल मेहता, लक्ष्मीपत बोथरा, ओमप्रकाश बाँठिया, दिनेश बागरेचा द्वारा किया गया। अणुव्रत समिति अध्यक्ष प्रकाश धींग ने सांप्रदायिक सौहार्द पर अपने विचार व्यक्त किये। मुनि मुनिसुव्रतकुमारजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि संप्रदाय होना अच्छी बात है पर सांप्रदायिकता बड़ी खतरनाक है। सबके प्रति हमें मैत्री, सौहार्द व समन्वय बढ़ाना चाहिए। मुनि डॉ. मदनकुमारजी ने कहा कि समाज को स्वस्थ बनाना अणुव्रत आंदोलन का ध्येय है। अणुव्रत संप्रदाय मुक्त धर्म है। देश के मूर्धन्य साहित्यकारों और राजनेताओं ने इसको अधिमान दिया है। हर व्यक्ति को अपने चरित्र की रक्षा करनी चाहिए। धन चला गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया, पर चरित्र चला गया तो सब कुछ चला गया। अणुव्रत एक प्रकार से चिन्मय दीप है। जैसे अध्यात्म, नैतिकता और उपासना तीनों ज़रूरी है, वैसे विकास के लिए शांति जरुरी है, और उसके लिये सांप्रदायिक सौहार्द जरुरी है। अणुव्रत की बात जन-जन तक पहुँचे यह आज के युग की माँग है। आभार लक्ष्मीपत बोथरा ने किया।