मानवीय एकता का प्रतीक है अणुव्रत

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मानवीय एकता का प्रतीक है अणुव्रत

अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्वावधान में, मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का प्रथम दिन 'सांप्रदायिक सौहार्द दिवस' के रूप में अणुव्रत समिति हावड़ा, कोलकाता द्वारा प्रेक्षा विहार में आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा, 'आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया। अणुव्रत में उपासना गौण है और चरित्र की प्रधानता है। यह एक निर्विशेषण धर्म है। अणुव्रत मानवीय एकता का प्रतीक है, जिसका अर्थ है जीवन की न्यूनतम शुद्धि—छोटे-छोटे व्रत। अणुव्रत एक असाम्प्रदायिक आंदोलन है, जिसे कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी वर्ग, जाति, लिंग, रंग, या वर्ण से हो, अपना सकता है। मुनि श्री ने आगे कहा, 'दुनिया में नाना प्रकार के सम्प्रदाय हैं।
सम्प्रदाय बुरा नहीं होता, लेकिन जब 'मेरा ही सम्प्रदाय श्रेष्ठ है' जैसी मानसिकता आ जाती है, तभी समस्याओं का जन्म होता है। साम्प्रदायिक सौहार्द से देश में शांति का वातावरण निर्मित होता है। धर्म पत्र है, तो सम्प्रदाय लिफाफा; धर्म गूदा है, तो सम्प्रदाय छिलका। सम्प्रदाय का जन्म धर्म के प्रचार के लिए ही होता है, और सम्प्रदाय का महत्त्व हर युग में रहा है।' उन्होंने सभी से आपस में सद्भावना बनाए रखने और प्रेम व सौहार्द का विकास करने का आह्वान किया। मुनि श्री ने कहा, 'हमें पापी से नहीं, पाप से घृणा करनी चाहिए। वैमनस्य, घृणा और नफरत से देश और समाज रसातल की ओर जाता है। सौहार्द होगा, तो विश्वास बढ़ेगा। मानवता के विकास के लिए साम्प्रदायिक सौहार्द जरूरी है।'
कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि कुणाल कुमार जी द्वारा अणुव्रत गीत के संगान से हुआ। स्वागत भाषण अणुव्रत समिति हावड़ा के अध्यक्ष दीपक नखत ने दिया। कलकत्ता अणुव्रत समिति के अध्यक्ष प्रदीप सिंघी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अणुव्रत मीडिया के संयोजक पंकज दुधोड़िया और अणुविभा के विशेष आमंत्रित सदस्य विकास दूगड़ भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। आभार ज्ञापन हावड़ा अणुव्रत समिति के मंत्री वीरेंद्र बोहरा ने किया, जबकि कार्यक्रम का संचालन मुनि कुणाल कुमार जी ने किया।