महाप्रभावशाली भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान

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महाप्रभावशाली भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान

'शासनश्री' साध्वी विद्यावतीजी 'द्वितीय' ठाणा 5 के सान्निध्य में महाप्रभावशाली मंगलकारी भक्तामर अनुष्ठान का उपक्रम रखा गया। साध्वी विद्यावती जी ने कहा- जैन धर्म में कई प्रभावक आचार्य हुए हैं। उन्होंने जैन साहित्य भंडार को समृद्ध बनाया है। ध्यान, योग, दर्शन आदि विषयों से संबंधित कई ग्रंथों का लेखन उन्होंने किया है। उन्हीं आचार्यों में एक आचार्य मानतुंग हुए हैं जिन्होंने भक्तामर स्तोत्र की रचना करके जैन समाज को एक नया आलोक दिया है। संपूर्ण जैन समाज के हृदय में भक्तामर के प्रति निष्ठा है, सम्मान है।
साध्वी ऋद्धियशाजी ने कहा- यह स्तोत्र महामंगलकारी एवं प्रभावशाली है। आचार्य मानतुंग ने जब भक्तामर की रचना की उसका एक अलग ही इतिहास है। साध्वी श्री ने संक्षेप में आचार्य मानतुंग के जीवन वृतांत को सुनाया। साध्वी प्रियंवदाजी ने कहा- प्रतिदिन भक्तामर का पारायण करने वाला अपने भीतर एक विशेष ऊर्जा संग्रहित करता है। साध्वी प्रियंवदाजी ने चौबीसी की प्रथम ढाल का भी संगान किया। साध्वी प्रेरणाश्रीजी, साध्वी मृदुयशाजी एवं साध्वी ऋद्धियशाजी ने भी भक्तामर के श्लोकों एवं मंत्रों का उच्चारण करवाया। अच्छी संख्या में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं ने भी एक लय एक स्वर के साथ भक्तामर का पाठ किया।