संयम को राजपथ की दी गई उपमा
साध्वी रचनाश्री जी के सान्निध्य में मुमुक्षु भीखमचंद नखत के सम्मान समारोह का शुभारंभ साध्वीश्री के नमस्कार महामंत्र उच्चारण के साथ हुआ। साध्वीश्री ने इस अवसर पर कहा कि आज़ इंदौर में ऐसे व्यक्तित्व का आगमन हुआ है, जिनकी आगामी संयम की यात्रा संभावित है। आपने संकल्प लिया की मैं संयम के पथ पर अग्रसर होने के पूर्व चातुर्मासिक क्षेत्रों में विराजित सभी चारित्रात्माओं के दर्शनों का लाभ लूं। इसी कड़ी में आप आज़ इंदौर तेरापंथ भवन में उपस्थित हुए हैं।
संसार में तीन चीजें दुर्लभ होती हैं - मनुष्य जन्म, मुमुक्षा भाव और महापुरुषों का आश्रय। मुमुक्षु नखत को तीनों का ही योग मिला हुआ है। आप ऐसे विरले व्यक्ति हैं जो कि सतत् गुरु के आभावलय में रहकर सेवा दर्शनों का लाभ लेते हैं। साध्वी श्री ने आगे कहा कि संयम से व्यक्ति अपने पुराने से पुराने कर्मों का अवरोध कर लेता है। भगवान महावीर की वाणी में संयम को राजपथ की उपमा दी गई है। आज मुमुक्षु का अभिनंदन नहीं हो रहा है अपितु आपकी सेवा, समर्पण एवं संयम का अभिनंदन हो रहा है। आपके प्रति यही मंगल भावना है कि आप शीघ्रातिशीघ्र संयम के महामार्ग पर अग्रसर हो।
इस अवसर पर सहवर्ती साध्वी वृंद ने अभिनंदन गीतिका का संगान किया गया। मुमुक्षु भाई का परिचय तेजकरण नखत द्वारा दिया गया। मुमुक्षु नखत ने गुरुदेव श्री तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ एवं आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य के अपने अनुभव सबके समक्ष साझा किए। इस अवसर पर अभिनंदन के क्रम में तेरापंथ महिला मंडल की मंत्री मोना बंबोरी, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष अर्पित जैन, टी.पी.एफ.के अध्यक्ष चंद्रेश भटेरा ने अपने विचार व्यक्त किए। विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों द्वारा आपका सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए तेरापंथी सभा के मंत्री राकेश भंडारी ने आपके विशिष्ट व्यक्तित्व को रेखांकित किया। आभार तेरापंथी सभा के सहमंत्री मनीष दूगड़ ने दिया।