संस्कारी व्यक्तित्वों का आविष्कार करने वाली बेस्ट फैक्ट्री है ज्ञानशाला

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संस्कारी व्यक्तित्वों का आविष्कार करने वाली बेस्ट फैक्ट्री है ज्ञानशाला

अच्छाई और बुराई का संघर्ष सदियों पुराना है किंतु इस संघर्ष में विजय सदैव अच्छाई की ही होती है क्योंकि अच्छाइयों का आधार व्यक्ति के सद्द्संस्कार होते हैं। बाल्यावस्था संस्कार निर्माण की वह सर्वोत्तम अवस्था होती है जहां जीवन की समग्र सफलताओं का ढांचा तैयार किया जा सकता है। ज्ञानशाला उस ढांचे को तैयार करने वाली बेस्ट फैक्ट्री है जिसमें संस्कारी व्यक्तियों का आविष्कार किया जाता है। उक्त विचार तेरापंथ भवन मोमासर में विराजित साध्वी संघप्रभा जी ने 'बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय' विषयक संस्कार निर्माण कार्यशाला में प्रकट किए। कार्यशाला में ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा 'तोता तोता तुम क्यों रोता' तथा 'लेवा मारे प्रभु जी रो नाम, ए दुनिया लाजा मरे' दो रोचक काव्य नाटकों की सुंदर प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम की तैयारी एवं संचालन में प्रमुख भूमिका निभाते हुए साध्वी प्रांशुप्रभा जी ने कहा इन्हीं बच्चों में राम, कृष्ण, महावीर की तस्वीर छिपी हुई है, जरूरत है सिर्फ स्नेहिल अनुशासन में सम्यक प्रशिक्षण द्वारा उजागर करने की।
तेरापंथ सभा की ओर से कमल सेठिया ने बच्चों की प्रस्तुति की प्रशंसा करते हुए कहा साध्वीश्री ने ज्ञानशाला के इन बच्चों पर जो मेहनत की है वह वास्तव में मोमासर के लिए बड़े सौभाग्य की बात है। प्रस्तुति के क्रम में भरत सोनी ने 'राम-राम का रूपक' तथा कांता सोनी ने 'संता थारी नगरी में' भजन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी विधिप्रभा जी के परमेष्ठी संगान से हुआ।