जैन एकता के संदर्भ में ‘जैनम् जयति शासनम्’ समारोह बना ऐतिहासिक

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जैन एकता के संदर्भ में ‘जैनम् जयति शासनम्’ समारोह बना ऐतिहासिक

युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की प्रेरणा से साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य और श्री तुलसी महाप्रज्ञ फाउण्डेशन के तत्वावधान में कांदिवली भवन में जैनम जयति शासनम् समारोह का भव्य आयोजन हुआ। मूर्तिपूजक, स्थानवासी, दिगम्बर और तेरापंथ-चार सम्प्रदायों के प्रबुद्ध आचार्य, संत, सतियों से सज्जित मंच जिनशासन की गरिमा बढाने वाला बना। इस कार्यक्रम का आयोजन तेरापंथ समाज कांदिवली/मलाड ने किया। साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी ने आगन्तुक आचार्य, मुनिवर, साध्वी वृंद का भावभीना स्वागत किया। उन्होंने कहा हमारे भाव निवेदन को स्वीकार कर सभी पधारे, यह जिनशासन की प्रभावना का प्रतीक है। साध्वी वृन्द ने सामूहिक संगान कर धवल मंच का स्वागत अभिनन्दन किया। जैन एकता के संदर्भ में 'जैनम् जयति शासनम्' विषय का प्रतिपादन करते हुए उन्होंने कहा- गुरुदेव महाश्र‌मण जी की प्रेरणा और कृपा से एकता का एक महत्वपूर्ण आयोजन हो रहा है। सह मिलन, सह आसन, सह चिन्तन और सह क्रियान्वयन से एकता फलीभूत होती है।
गुरुदेव श्री तुलसी ने जैन एकता का विशाल स्वप्न देखा, इस हेतु अनेक संकल्प किए, प्रयास भी किया। हर सम्प्रदाय की अपनी उपासना पद्धति होती है, पर लक्ष्य हमारा एक है। सबके साथ मैत्री हो - वाणी विस्तार पाती रहे - इस हेतु हमें प्रयास करना चाहिए। साध्वीश्री ने कहा- जैन विश्व भारती संस्थान जैन एकता का अमूल्य उदाहरण है। जहां लगभग सभी सम्प्रदायों के 1300 साधु-सतियों ने B.A, M.A और PhD की है। साध्वी श्री ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जन्मना जैन सिकुड़ रहे हैं। आवश्यकता है जैनत्व को विस्तार देने की। चिन्तन करें, क्या शादियों में, पार्टियों में, शराब, प्री वेडिंग आदि का प्रचलन शोभनीय है। सम्पूर्ण जैन समाज कदम उठाए, संकल्प करें, सलक्ष्य एकता का सिंहनाद करें। साध्वी श्री के आह्वान पर समस्त परिषद् ने संकल्प स्वीकार किए। साध्वी श्री ने कहा कि भगवान महावीर का सिंह निश्चित चिह्न था, जैन हो शेर की तरह बुलन्द हौंसलों से आगे बढ़ना है, आज का यह आयोजन सभी को जैन एकता का संदेश दे रहा है।
प्रफुल्ला जी महाराज ने कहा- बिखरा हुआ समाज इज्जत नहीं पाता। संगठन में शक्ति होती है। समाज के आनन्द के लिए एकाकी करण आवश्यक है। मुनि भास्कर जी ने कहा- जैन लोगो हर घर में होना चाहिए। आचार्य देवकीर्तिसूरीश्वर जी ने अपने उद्‌गार में कहा- हम सभी आज यहां प्रलोभन, प्रेशर से इक‌ट्ठे नहीं हुए है। महावीर का एक मात्र प्रेम लेकर आए हैं। आवश्यकता है सभी मिलकर जैन शासन की सुरक्षा और समृद्धि का चिन्तन करे। दिगम्बर सम्प्रदाय के आचार्य विभवसागर जी ने कहा - विचारों की पवित्रता एकता का निर्माण करती है, एकता के लिए आवश्यकता है- मैत्री, प्रमोदभाव, करुणा और माध्यस्थ भाव का विकास हो। आज इस समारोह में आकर हम आनन्द का अनुभव कर रहे हैं।
तेरापंथ समाज द्वारा समायोजित इस कार्यक्रम की सभी ने सराहना की। तेरापंथ महिला मंडल कांदिवली की बहनों नें मंगलाचरण किया। श्री तुलसी महाप्रज्ञ फाउण्डेशन के अध्यक्ष मेघराज धाकड़ ने स्वागत स्वर प्रस्तुत किए। समागन्तुक आचार्य, संत एवं साध्वीवृंद को श्री तुलसी महाप्रज्ञ फाउण्डेशन, सभा अध्यक्ष, मंत्री, मुंबई सभा के उपाध्यक्ष, तेरापंथ सभा, युवक परिषद कांदिवली, महिला मंडल कांदिवली, बोरिवली, मालाड, दहिसर एवं गोरेगांव के पदाधिकारीगण द्वारा सम्मानित किया गया। साध्वी वृन्द ने जैनम जयति शासनम गीत का संगान कर सभा में समा बांधा। इस अवसर पर जयपुर से समागत महादानी श्रद्धा की प्रतिमूर्ति श्राविका भीखी देवी सेठिया का विभिन्न संस्थानों द्वारा सम्मान किया गया। श्री तुलसी महाप्रज्ञ फाउण्डेशन मंत्री प्यार चन्द मेहता ने आभार जताया। उन्होंने कहा इस कार्यक्रम के सफल आयोजन और तेरापंथ सभा कांदिवली के अध्यक्ष ज्ञानचंद भंडारी, मंत्री रतन सिंघवी, कार्यकारी अध्यक्ष मुकेश कुमठ तेयुप कांदिवली अध्यक्ष राकेश सिंघवी, मंत्री पंकज कच्छारा तेयुप मालाड अध्यक्ष जयन्ती मादरेचा, मंत्री एवं सम्पूर्ण टीम का सक्रिय सहयोग रहा। कार्यक्रम कर कुशल संचालन साध्वी राजुलप्रभाजी ने किया।