तेरापंथ हस्तकला प्रदर्शनी का समायोजन

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तेरापंथ हस्तकला प्रदर्शनी का समायोजन

जैन तेरापंथ सम्प्रदाय के साधु-साध्वियों की ओर से निर्मित वस्तुओं की विशाल प्रदर्शनी का आयोजन तेरापंथ भवन चिकमंगलूरु में हुआ । मुनि मोहजीत कुमारजी के सान्निध्य में तथा मुनि भव्य कुमारजी एवं मुनि जयेशकुमार जी के निर्देशन में लगी अद्‌भुत हस्तकला को देखकर देखने वाले महानु‌भाव दातों तले अंगुली दबाये बिना नहीं रह सके। चिकमंगलूरु के सैकड़ों जन फिर चाहे किसी कौम के हो, प्रदर्शनी को देखकर अभिभूत हुए। इस प्रदर्शनी में चित्रकला के माध्यम से जीवन दर्शन, आत्मदर्शन तथा व्यवहार दर्शन को प्रस्तुत किया गया। सूक्ष्म अक्षरों की लिखावट में सभी धर्मो के प्रतीक चिन्हों में हजारों-हजारों अक्षरों का भव्य समायोजन किया गया। हस्तकला प्रदर्शनी में तेरापंथ के प्रथम आचार्य से लेकर वर्तमान आचार्य तक की लिपि का प्रस्तुतिकरण प्राचीनता और नवीनता का संगम था।
इस अवसर पर मुनि मोहजीतकुमार जी ने कहा - प्रदर्शनी में हस्तशिल्प के अनेक प्रकारों को दर्शाया गया है। जिस में चित्रकला, लिपिकला, सूक्ष्माक्षर कला, जीवन की सुरम्यता का बोध, वस्त्र सिलाई के कई प्रकार, पात्रों की रंगाई के साथ विशिष्ट लिपिमय चित्रांकन, बुद्धि परीक्षा का प्रयोग, पीपल के पत्तों पर कलात्मक चित्रों का प्रकटीकरण जीवन मूल्यों को जागृत करने के लिए संदेशों का आभास है। प्रदर्शनी के मुख्य निर्देशक एवं विशिष्ट कला संरक्षक मुनि भव्य कुमार जी ने प्रदर्शनी में प्रस्तुत सामग्री का विस्तृत विवेचन करते हुए कहा कि यह उपक्रम कलात्मक जीवन जीने की प्रेरणा के साथ एकाग्रता के विकास का संबोध प्रदान करता है। मुनि जयेश कुमार जी ने कला के प्राचीन इतिहास को बता वर्तमान युग की समस्याओं के संदर्भ में उन कलाओं में छिपे प्रेरक संदेशों को प्रकट किया । हस्तकला प्रदर्शनी का उद्‌घाटन मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद गायत्री शांतेगौडा ने किया। उन्होंने कहा- श्रद्धा, भक्ति और संयम में रहने वाले व्यक्तियों द्वारा बनाए गये ये चित्र और कला से जुड़ी संस्कृति भारतीय मूल्यों को विकसित करती है। हर मानव ऐसी कला को देख जीवन को पवित्र बनाए। इस अवसर पर नगर पालिका चिकमगलूर की अध्यक्षा सुजाता शिवकुमार ने प्रदर्शनी के देख प्रसन्नता प्रकट करते हुए कहा- इस प्रदर्शनी में भारत की सनातन संस्कृति को कला के माध्यम से जो दिखाया गया है, वह जीवन्त इतिहास है। प्रदर्शनी के समायोजन में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ युवक परिषद का विशेष योगदान रहा।