प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन
विलेपार्ले। साध्वी शकुन्तलाकुमारीजी के सान्निध्य में एक दिवसीय प्रेक्षा ध्यान शिविर का आयोजन हुआ। जिसमें लगभग 50 भाई-बहनों की सहभागिता रही। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रेक्षाध्यान गीत द्वारा का रेखा, कुसुम कोठारी ने किया। साध्वी शकुन्तलाकुमारी जी ने कहा- परमात्मा से साक्षात्कार करने का मार्ग है- ध्यान। ध्यान के बिना आत्मिक सुख की अनुभूति नहीं हो सकती। प्रेक्षा ध्यान व्यक्ति को आधि, व्याधि, उपाधि से मुक्त कर आत्मा में लीन हो जाता है। साध्वि संचितयशा जी ने प्रेक्षा ध्यान के इतिहास व स्वरूप का उल्लेख करते हुए एकाग्रता बढ़ाने के साथ साथ प्रयोग करवाया। साध्वी रक्षितयशा जी ने आनन्द भावना, मंगल भावना व काय गुप्ति की महत्ता बताते हुए प्रयोग करवाये।