मासखमण तप अभिनंदन समारोह आयोजित
मुनि जिनेशकुमार जी के सान्निध्य में देवीना बाफणा के मासखमण तप प्रत्याख्यान के अवसर पर मासखमण तप अभिनंदन समारोह का आयोजन प्रेक्षा विहार में साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा शरीर आत्मा, कर्म या विकारों को जिससे तपाया जाए उसे तप कहते हैं। जैसे अग्नि में तप्त होकर सोना विशुद्ध और मल रहित हो जाता है, वैसे ही तपस्या रूपी अग्नि में तपी हुई आत्मा कर्म मल, विकार व पाप से रहित होकर निर्मल और विशुद्ध हो जाती है। तप मोक्ष का मार्ग है। तप से अपूर्व कर्म निर्जरा होती है। तप से चेतना कुंदन बन जाती है। तप सत्यम् शिवम् सुन्दरम् का समन्वित रूप है। तप वही कर सकता है जिसका शरीर बल से ज्यादा मनोबल दृढ़ हो। वे व्यक्ति धन्य होते हैं जो निरंतर तपस्या में लीन रहते हैं। लिलुआ की देवीना बाफणा ने मासखमण तप कर अद्भुत साहस का परिचय दिया है।
मात्र 21 वर्ष की उम्र 30 दिनों का तप कर देवीना ने दृढ मनोबल का परिचय दिया है। मुनि श्री ने तपस्वी बहिन को मासखमण तप का प्रत्याख्यान करवाया। इस अवसर पर मुनि कुणाल कुमार जी ने तप अनुमोदना गीत का संगान किया। साउथ हावड़ा तेरापंथी सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत बाफणा ने तप अनुमोदना में विचार व्यक्त करते हुए सभी का स्वागत किया। इस अवसर पर महासभा के पूर्व अध्यक्ष सुरेश गोयल, कलकत्ता सभा के अध्यक्ष अजय भंसाली, रमेश गोयल, लिलुआ सभा के अध्यक्ष अनिल जैन ने साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी के संदेश का वाचन, तपस्विनी के पिता प्रमिल बाफणा ने तप अनुमोदना में अपने विचार व्यक्त किये। तपस्विनी के पारिवारिक जन ने तप अनुमोदना गीत का संगान किया। आभार ज्ञापन सभा के मंत्री बसंत पटावरी ने व कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंदजी ने किया।