चारित्रिक उन्नयन का आन्दोलन है अणुव्रत
साध्वी अणिमाश्री जी के सान्निध्य में अणुव्रत समिति ट्रस्ट दिल्ली के तत्वावधान में खिलोनी देवी धर्मशाला में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अन्तर्गत अहिंसा दिवस का आयोजन किया गया। साध्वी श्री ने अपने उद्बोधन में कहा-चरित्र जीवन का कोहिनूर हीरा है जो व्यक्ति की आब को बढ़ाता है। आचार्य तुलसी ने व्यक्ति, समाज व देश के चारित्रिक उत्थान के लिए अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया। व्यक्ति-व्यक्ति के चरित्र को प्रभावित कर स्वस्थ समाज और राष्टीय चरित्र का निर्माण करना अणुव्रत का लक्ष्य है। चारित्रिक और नैतिक उन्नति का आधार है नैतिक विचार। विचार और आचार की पवित्रता के लिए व्रतों का स्वीकरण अपेक्षित है।
अणुव्रत के ये छोटे-छोटे व्रत जीवन को ठोस धरातल प्रदान कर सकते हैं। अहिंसा सर्व क्षेमंकरी है। अहिंसा की साधना करने वाला व्यक्ति आनन्द का जीवन जी सकता है। डॉ साध्वी सुधाप्रभा जी ने अणुव्रत की महत्ता को व्याख्यायित किया। साध्वी कर्णिकाश्रीजी, साध्वी समत्वयशाजी, साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने मंगल गीत का संगान किया। अणुव्रत विश्व भारती के मुख्य ट्रस्टी तेजकरण सुराणा ने अणुव्रत के संदर्भ में अहिंसा की व्याख्या की।