आत्म विमोचन कार्यशाला का आयोजन
तेरापंथ सभा भवन में मुनि सुमति कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में आत्म विमोचन कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का शुभारंभ मुनि सुमति कुमार जी द्वारा नमस्कार महामंत्र के साथ किया गया। इसके पश्चात महिला मंडल ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। मुनि आगम कुमार जी ने मन को एकाग्र और शांत करने के लिए जप अनुष्ठान करवाया। मुनि देवार्य कुमार जी ने आत्मा की शक्ति को पहचानने की प्रेरणा देते हुए कहा कि आत्मा ही सबसे बड़ी शक्ति है। सम्यकत्व की प्राप्ति के लिए अपनी आत्मिक शक्ति को पहचानना आवश्यक है। उन्होंने गणेश जी और चूहे की कहानी के माध्यम से इस विचार को समझाया और बताया कि आत्मा की छिपी हुई शक्तियों को क्षमा और सम्यक्त्व के माध्यम से उजागर किया जा सकता है। ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। मुनिश्री ने सम्यक्त्व के पांच लक्षणों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। मुनि सुमति कुमार जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि क्षमा करने से हमारी आत्मिक शक्ति जागृत होती है, और इससे हमारे मन में आनंद और प्रसन्नता का भाव उत्पन्न होता है।