प्रभावपूर्ण रही भिक्षु दर्शन प्रशिक्षण कार्यशाला
तेरापंथ भवन में 'शासनश्री' साध्वी विद्यावतीजी के सान्निध्य में भिक्षु दर्शन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन हुआ। यह एक दिवसीय कार्यशाला अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के निर्देशानुसार तेरापंथ युवक परिषद् दादर के तत्वावधान में आयोजित की गई। कार्यशाला का शुभारंभ साध्वी वृंद द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से हुआ। इसके पश्चात तेरापंथ युवक परिषद द्वारा विजय गीत प्रस्तुत किया गया। तेयुप अध्यक्ष नितेश भंसाली ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया।
साध्वी ऋद्धियशाजी ने अपने वक्तव्य में आचार्य भिक्षु के प्रतिपादित सिद्धांतों में लौकिक और लोकोत्तर धर्म का विस्तृत विवेचन किया। सोलापूर से प्रशिक्षक के रूप में पधारे उपासक संस्कारक राजेश छाजेड़ ने कार्यशाला की पूर्व भूमिका प्रस्तुत कर इसका प्रारूप समझाया। साध्वी प्रियंवदाजी ने आचार्य भिक्षु की विचारधारा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, 'धर्म बल प्रयोग और प्रलोभन में नहीं, बल्कि हृदय परिवर्तन में निहित है।' साध्वी विद्यावतीजी ने अपने उद्बोधन में आचार्य भिक्षु को क्रांतिकारी और दूरदर्शी विचारक बताते हुए कहा कि, 'आचार्य भिक्षु ने व्रत-अव्रत, त्याग-भोग, हिंसा-अहिंसा और अध्यात्म-व्यवहार के भेद को सरलता से समझाया। जो धर्म शुद्ध, नित्य और शाश्वत है, वह अहिंसा है। हमें दुराग्रह से दूर रहकर सत्य को समझने का प्रयास करना चाहिए।'
साध्वी प्रेरणाश्रीजी और साध्वी मृदुयशाजी ने मधुर गीत प्रस्तुत कर वातावरण को भक्तिमय बनाया। कार्यशाला को चार सत्रों में विभाजित किया गया। प्रशिक्षक राजेश छाजेड़ ने आचार्य भिक्षु के गहन सिद्धांतों का अत्यंत रोचक और सरल विश्लेषण किया। धाराप्रवाह वक्तव्य से उन्होंने युवाओं को आचार्य भिक्षु के विचारों को समझने और उन्हें आत्मसात करने का आह्वान किया। कार्यक्रम में अभातेयुप के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नरेश सोनी, आचार्य श्री महाश्रमण युवा व्यक्तित्व पुरस्कार से सम्मानित देवेंद्र डागलिया, अभातेयुप सदस्य, स्थानीय पदाधिकारी एवं श्रावक समाज उपस्थित था। कार्यक्रम को सफल बनाने में तेरापंथ युवक परिषद, महिला मंडल, सभा, किशोर मंडल के कार्यकर्ताओं ने सराहनीय सहयोग दिया।