सम्यक संस्कार बच्चों की जीवन निर्माण की सुदृढ़ रीढ़ है

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सम्यक संस्कार बच्चों की जीवन निर्माण की सुदृढ़ रीढ़ है

आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी मंजूयशाजी ठाणा-4 के सान्निध्य में तेरापंथ सभा संस्थान नाथद्वारा की ओर से ज्ञानशाला का वार्षिक उत्सव तेरापंथ सभा भवन में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का प्रारंभ साध्वीश्री ने नमस्कार महामंत्र के मंगल उच्चारण से किया। मंगलाचरण में ज्ञानशाला के बच्चों ने गीत का मधुर स्वर लहरी में तन्मय होकर संगान किया। साध्वीश्री ने अपने संबोधन में कहा- आज का युग विज्ञान का, कंप्यूटर का, लैपटॉप का, मोबाइल का युग है। हर व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र में अनेक प्रकार की गति-प्रगति कर रहा है। प्रशिक्षण के लिए अनेक पद्धतियां चल रही हैं। इसी का परिणाम है कि आज के बच्चे अनेक डॉक्टर, वकील, इंजीनियर आदि डिग्रियां प्राप्त कर रहे हैं।
शिक्षा का क्रम तो बहुत ऊंचा हो रहा है किंतु संस्कारों की बगिया उजड़ती सी नजर आ रही है। उन्होंने आगे कहा सम्यक संस्कार बच्चों की जीवन निर्माण की सुदृढ़ रीढ़ है। जैसे मजबूत नींव के बिना मकान या महल कभी नहीं बनाया जा सकता है ठीक वैसे ही संस्कार विहीन व्यक्ति का जीवन कोरा शिक्षा का भार सिर ढोता है। अहंकार, उद्दंडता, उच्शृंखलता, अनुशासन हीनता आदि के अवगुण जागृत कर वह जीवन को पतन की ओर धकेल देता है। शिक्षा के साथ संस्कारी होने से जीवन में विनम्रता, अनुशासन शीलता, सत्यवादिता, प्रामाणिकता, शालीनता, धार्मिकता आदि सद्गुणों से संपन्न जीवन सदा भविष्य में उच्च निर्माण कर पाएगा।
साध्वी श्री ने आगे कहा कि मौलिक संस्कार निर्माण के पांच सूत्र हैं - सत्य के प्रति गहन आस्था, विनम्रता, आवेश पर नियंत्रण, मधुर वाणी का प्रयोग, नैतिक व प्रामाणिक चेतना का जागरण। उन्होंने कहा- जो बालक इन पांचों सूत्रों को अपने जीवन व्यवहार में उतार लेता है वह भविष्य का उजाला बनकर परिवार, समाज, देश की सेवा कर उन्हें शिखर तक पहुंचाएगा। इसके साथ माता-पिता, गुरुजन का कर्तव्य है कि स्वयं वैसा जीवन जीएं और अपनी इस भावी पीढ़ी को भी संस्कार देकर उनके भविष्य को उज्जवल व निर्मल बनाएं। साध्वी चिन्मयप्रभा जी, साध्वी इंदुप्रभा जी व साध्वी मानसप्रभा जी ने गीत एवं भाषण द्वारा अपनी अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम में मुख्य संयोजिका सीमा डागलिया ने पधारे हुए अतिथियों के स्वागत भाषण के साथ ज्ञानशाला संचालन की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। मेवाड़ आंचलिक संयोजिका डॉ. डिंपी जैन ने ज्ञानशाला की गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुए बच्चों एवं प्रशिक्षकों की प्रस्तुति को प्रशंसनीय बताया। सभा के अध्यक्ष विश्वजीत कर्णावट ने राष्ट्रीय प्रभारी, आंचलिक संयोजिका आदि का सभा की ओर से स्वागत किया।
कार्यक्रम में अणुव्रत समिति नाथद्वारा के अध्यक्ष सुभाष समोता, प्रशिक्षिका वर्ग, ज्ञानार्थियों का वर्ग आदि सभी ने गीत, कव्वाली, एक्शन सॉन्ग, बेटी बचाओ नामक सुंदर नाटिका आदि सभी कार्यक्रम की प्रस्तुति देकर परिषद को भाव विभोर कर दिया। श्रेष्ठ ज्ञानार्थी, विशिष्ट प्रशिक्षिका, स्नातकोत्तर परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाली प्रशिक्षिकाओं, बेस्ट प्रशिक्षक व ज्ञानार्थी 2023 आदि का सम्मान ज्ञानशाला संस्था की ओर से किया गया। मुख्य प्रशिक्षिका चेतना बापना ने सभी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सह-संयोजिका रंजना कच्छारा द्वारा किया गया। मंगल पाठ से कार्यक्रम सानंद संपन्न हुआ।